आखिर क्यों नहीं बदलती मकर संक्रांति की तिथि, इस बार क्या बन रहा संयोग
वाराणसी: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान भास्कर शनि की राशि से मकर में प्रवेश करते हैं और इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय कुमार ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन पुनर्वसु नक्षत्र एवं विष्कुंभ योग का संयोग बन रहा है. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. तब खरमास खत्म हो जाएगा. इस दिन के बाद से सभी मांगलिक कर प्रारंभ हो जाता है.
प्रोफेसर विनय कुमार ने बताया कि इस साल (साल 2025) में मकर संक्रांति की 14 जनवरी को मनाई जाएगी. जबकि 2024 में यह तारीख 15 जनवरी थी. दशकों ही नहीं सदियों से ये तारीख 14 जनवरी को पड़ती आई है और हाल के कुछ सालों में यह तारीख 15 जनवरी में भी दिखी है. आखिर ये अंतर क्यों है और क्यों अक्सर मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को ही आता है जबकि भारत के बाकी सभी त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर में अलग-अलग तारीखों को पड़ते हैं.
एक राशि से दूसरी में सूर्य का जाना कहलाता है संक्रांति
हर साल आने वाला मकर संक्रांति का दिन खास होता है जिसका सीधा संबंध पृथ्वी का सूर्य का चक्कर लगाने से है. पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिन और 6 घंटों में पूरा कर लेता है. ज्योतिष और खगोल विज्ञान दोनों ने ही इस अवधि को 12 भागों में बांटा है. कैलेंडर के अनुसार ये हिस्से 12 महीने होते हैं. वहीं ज्योतिष के अनुसार ये आकाश के 12 हिस्से होते हैं जिन्हें राशि के नाम से जाना जाता है. इस तरह सूर्य हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में जाता है जिस संक्रांति कहते हैं.
पांच साल के बाद इस बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. ऐसा सूर्य की चाल में बदलाव के कारण हो रहा है. साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. यह पर्व हर साल 14 जनवरी को ही नहीं, बल्कि कभी-कभी 15 जनवरी को भी मनाया जाता है. मकर संक्रांति की तारीख में बदलाव होने की वजह सूर्य की चाल है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, हर साल सूर्य मकर राशि में 20 मिनट देरी से प्रवेश करता है. हर तीन साल में सूर्य एक घंटे बाद और हर 72 साल में एक दिन की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है.
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स्नान, दान और पुण्य का शुभ मुहूर्त
इस दिन गंगा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से लेकर शाम 05:46 बजे तक रहने वाला है. इस शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने से विशेष लाभ मिलते हैं. इस पुण्य काल की अवधि 8 घंटे 42 मिनट रहने वाली है. मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को सुबह 09:03 बजे से लेकर सुबह 10:48 बजे तक महापुण्य काल रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन सनातन धर्म को मानने वाले और मकर संक्रांति मनाने वाले लोग गंगा में पूर्ण की डुबकी लगाते हैं.
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इस दिन घाटों के किनारे लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और गंगा में स्थान करते हैं. स्नान करने के बाद ही भगवान भास्कर का ध्यान करते हैं. लोग स्नान करने के बाद गरीबों में दान भी करते हैं. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, गरम कपड़ा, तिल और तिल से बने सामानों का दान किया जाता है. यह दान विशेष पूर्णदाई और फलदाई होता है.