Mahakumbh 2025: जानें क्या है कुंभ के दौरान कल्पवास के नियम…
Mahakumbh 2025: प्रयागराज का महाकुम्भ का मेला अब महज डेढ़ महीने दूर है. यह मेला केवल भारत के लिए नहीं बल्कि दुनिया भर के हिन्दू अनुयायिओं के लिए एक पवित्र अवसर है. प्रयागराज का महाकुम्भ प्रमुख 4 स्थानों में आयोजित होता है. यह मेला प्रयागराज , हरिद्वार, उज्जैन और नासिक इन चारों स्थानों में केवल प्रयागराज ही एक स्थान है जहाँ केवल कल्पवास की परंपरा और विधान का पालन किया जाता है.
कल्पवास एक कठिन तपस्या और भगवत साधना का माध्यम है. जिसके जरिए व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक उन्नति की और अग्रसित करता है. इस व्यक्ति के दौरान व्यक्ति अपनी इच्छाओं को नियंत्रित रखता है और स्वम को भगवान के प्रति समर्पित करता है. इस दौरान युवक का शुद्धिकरण होता है और अपने पापों से मुक्ति पाता है.
क्या होता है कल्पवास:…
बता दें कि, कल्पवास एक कठिन तपस्या है. इस दौरान श्रद्धालु विशेष रूप से गंगा और यमुना के संगम तट पर एक माह तक वास करते है. यह व्रत माघ माह में प्रारम्भ होता है और पूरे महीने के लिए विशेष नियमों का पालन किया जाता है. कल्पवास के दौरान श्रद्धालु अपनी इच्छाओं पर काबू करते है. इस दौरान व्यक्ति को सत्संग, भजन कीर्तन और प्रभु के दर्शन करने के लिए विशेष महत्त्व होता है.
कल्पवास की प्रक्रिया और नियम…
पद्म पुराण के अनुसार, कल्पवास के दौरान श्रद्धालु को इक्कीस नियमों का पालन करना चाहिए. इनमें सत्य बोलना, अहिंसा का पालन करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना शामिल हैं. इसके अलावा, हर सूर्योदय पर गंगा में स्नान करके सूर्य देव की पूजा भी जरूरी होती है.
तुलसी का बिरवा और पूजन…
कल्पवास के दौरान सबसे खास बात है तुलसी का बिरवा लगाना. यह कार्य श्रद्धालु के जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाने का प्रतीक है. हिन्दू धर्म में तुलसी एक पवित्र पौधा है. उसकी पूजा और उसे लगाने का कार्य भी कल्पवास का एक अभिन्न हिस्सा है. कल्पवास के दौरान श्रध्दालु तुलसी के पौधे की पूजा करते है. जिससे उनके जीवन में भगवान् की कृपा बनी रहती है.
कल्पवास का महत्त्व…
मान्यता है कि इस माह के दौरान किया गया व्रत, 100 साल तक बिना अन्न ग्रहण की गई तपस्या के समान होता है. कल्पवास से व्यक्ति के सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं. यह एक ऐसी साधना है जिसको करको करना मुश्किल तो होता है लिकन जो भी इसको पूरा करता है उसे अत्यंत शुभ फल मिलते हैं.
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कल्पवास के उद्देश्य…
कल्पवास का पालन करने से श्रद्धालु को कई आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. इसके द्वारा व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि कल्पवास करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है और उसे मनोबल और आंतरिक शक्ति मिलती है.
कल्पवास विधान विधि…
कल्पवास की प्रक्रिया को ” उद्यापन” कहा जाता है.जो व्रत के बाद किया जाता है. इसमें गंगा के तट पर विशेष पूजा होती है. जिसमें कलश पूजा, दीपक जलाना, तिल के लड्डू को ब्राह्मण को दान करना शामिल है.यह पूजा धार्मिक परम्पराओं का प्रतीक है.