Maha Kumbh Mela 2025: जयकारों के बीच अग्नि अखाड़ा का छावनी प्रवेश, की गई पुष्पवर्षा…

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Prayagraj: प्रदेश की संगम नगरी में महाकुंभ के लिए अभी से संतों का अखाड़ा लगना शुरू हो गया है. इसी बीच आज श्रीपंच अग्नि अखाड़ा का छावनी प्रवेश (पेशवाई) आरंभ हो गया है. अखाड़ा के संतों ने चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर में पूजन किया और बाद में यात्रा आरंभ हुई. महामंडलेश्वर संपूर्णानंद, सोमेश्वरानंद, वीरेंद्रानंद, शुक्लानंद रथ पर रखे चांदी के सिंहासन में विराजमान होकर निकले.

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मेला क्षेत्र में प्रवेश करेगी यात्रा…

बता दें कि यात्रा में भक्त जयकारे लगाते हुए पुष्ववर्षा करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. यात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचेगी. त्रिवेणी बांध से यात्रा पांटून पुल पार करके सेक्टर 20 स्थित अखाड़ा नगर में प्रवेश करेगी. वहां अखाड़ा के शिविर में जाकर संत अपना डेरा जमाएंगे.

तंबुओं की नगरी में विराजेंगे भगवान वेंकटेश्वर स्वामी

MahaKumbh Mela दुनिया का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) भी संगमतीरे महाकुंभ का साक्षी बनेगा. इसके लिए नागवासुकि सेक्टर छह में 2.5 एकड़ में शिविर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है. शिविर का निर्माण करने के लिए आंध्र प्रदेश के कारीगर पहुंच चुके हैं. शिविर में भगवान विष्णु के दशावतारों में एक भगवान वेंकटेश्वर स्वामी (बालाजी) की आठ फीट की प्रतिमा की प्रतिकृति रखी जाएगी.

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मंदिर का निर्माण करेंगे तिरुपति के कारीगर…

बताया जा रहा है कि मंदिर का निर्माण और आभूषण व अन्य सामग्री तिरुपति के कारीगर करेंगे. सभी सामग्रियां ट्रकों से तिरुपति से मेला क्षेत्र में पहुंचेंगी. प्रमुख शाही स्नान पर्वों को छोड़कर अन्य दिनों में दोनों प्रतिमाओं की पालकी शोभायात्रा भी निकाली जाएगी.

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आंध्र प्रदेश में है भव्य मंदिर….

भगवान वेंकटेश्वर स्वामी यानी बालाजी का पवित्र मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्थित है. यह भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर मानवता को “कलियुग” की कठिनाइयों और क्लेशों से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. इस अवधारणा के अनुसार इस क्षेत्र को कलियुग वैकुंठम के रूप में जाना जाता है. भगवान को कलियुग प्रत्यक्ष दैवम के रूप में जाना जाता है.

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