मघा श्राद्ध आज, जानें पितरों के लिए क्यों है खास ?

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पितृपक्ष समाप्ति की तरफ बढ़ चला है, ऐसे में आज पितृपक्ष की मघा श्राद्ध मनाई जा रही है. पितृपक्ष में मघा श्राद्ध की तिथि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ज्योतिष शास्त्र में मघा श्राद्ध दसवां नक्षत्र होता है. पितृ पक्ष के दौरान मघा श्राद्ध तब किया जाता है जब मघा नक्षत्र अपराह्न में बलवान होता है. कहा जाता है कि मघा नक्षत्र में अपने पितरों का श्राद्ध करने से शीघ्र पुण्य मिलता है और जातक की कई पीढ़ियों का जीवन सुख-सुविधाओं से भरता है. पितृदोष को दूर करने के लिए श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण है.

मघा श्राद्ध कैसे करें तर्पण ?

आश्विन मास के मघा नक्षत्र में पितरों (पूर्वजों) को श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, सामान्य तौर पर पितरों की मृत्यु तिथि पर अक्सर श्राद्ध होती है. मघा श्राद्ध में तिल, कुशा, पुष्प, अक्षत, शुद्ध जल या गंगा जल के साथ मघा श्राद्ध पूजन करना चाहिए. तर्पण और पिंडदान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. इसके अलावा, फल, कपड़े, दक्षिणा और दान देने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है. पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से मघा श्राद्ध करना चाहिए क्योंकि यह एक वैदिक कार्य है.

पितरों को मघा श्राद्ध के दौरान सभी कामों को पूरी तरह से करने से उन्हें सुख और शांति मिलती है.यदि कोई अपने पिता की मृत्यु तिथि नहीं जानता, तो मघा नक्षत्र में उनका श्राद्ध और पितृदोष की शांति कर सकता है. पितरों को श्राद्ध में दूध की खीर अर्पित करने से पितर दोष से छुटकारा मिल सकता है.

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 महत्व

पितृ पक्ष श्राद्ध समेत मघा श्राद्ध का महत्व मत्स्य पुराण में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि, पितृ पक्ष पर मघा श्राद्ध करना शुभ होता है. यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मघा नक्षत्र पर “पितरों” का प्रभाव होता है. माना जाता है कि मघा पर तर्पण करने से पितरों की आत्मा खुश होती है और पुण्य मिलता है. इस पूजा से पितरो को मुक्ति व शांति मिलती है. तर्पण और पिंडदान से संतुष्ट होने पर पितरों से आशीर्वाद मिलता है.

मुहूर्त

कुतुप मूहूर्त – सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक

रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक

अपराह्न काल – दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 46 मिनट तक

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