गाय से होगा HIV का इलाज, वैज्ञानिकों ने किया शोध, परिणाम चौंकाने वाले

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ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी और और हर्पीज वायरस यानि दाद-खाज फैलाने वाला विषाणु का इलाज अब गाय की लार से किया जा सकेगा. गाय की लार ग्रंथियों के बलगम (म्यूकस) से वि​कसित एक लुब्रिकेंट को स्वीडन में किये लैब टेस्ट में एचआईवी के खिलाफ 70 प्रतिशत और हर्पीज वायरस के खिलाफ 80 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है.

दरअसल, गाय का बलगम (म्यूकस) एक प्रोटेक्टिव जेल होता है. जो एपिथेलियल टिश्यूज यानि उपकला ऊतकों को चिकनाई प्रदान करता है. यह हमारे अंगों को कवर करते हैं और शरीर के अंदर खाली स्थान जो एक विशेष लिक्विड से भरा होता है यानि बॉडी कैविटी को लाइन करते हैं. इसके साथ ही सूक्ष्मजीवों के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं. म्यूकस का मुख्य घटक, म्यूसिन नामक प्रोटीन होता है, जिसमें एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं.

स्वीडन के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह लुब्रिकेंट एचआईवी के खिलाफ लैब टेस्ट में 70 फीसदी और हर्पीज के खिलाफ 80 फीसदी प्रभावी साबित हुआ है. एक लैब में कई प्रकार की कोशिकाओं पर वायरल प्रोफिलैक्टिक टेस्ट किए गए थे, जिसका परिणाम साइंटिफिक जर्नल ‘एडवांस्ड साइंस’ में प्रकाशित हुआ है.

केटीएच के बायोमैटिरियल्स रिसर्चर होंगजी यान ने कहा कि आशाजनक परिणाम उम्मीद जगाते हैं कि जब यह लुब्रिकेंट एक उत्पाद के रूप में उपलब्ध होगा, तो सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन को रोकने में काफी प्रभावी साबित होगा. य​​ह जेल म्यूसिन से विकसित किया गया है, जो मानव शरीर में उत्पन्न होने वाले म्यूकस का एक मुख्य घटक है.

होंगजी ने कहा कि म्यूसिन मॉलिक्यूल्स की प्राकृतिक जटिलता ही एक बड़ा कारण है कि यह सिंथेटिक जेल एचआईवी और हर्पीज को रोकने में इतना प्रभावी है. इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता या अन्य एंटीवायरल कम्पाउंड्स के साथ कोई रेजिस्टेंस भी डेवलप नहीं होता है. हमारे शरीर में, म्यूसिन मॉलिक्यूल्स एचआईवी और हर्पीज वायरस के पार्टिकल्स को बांध सकते हैं और उन्हें फंसा सकते हैं, जो एक्टिव म्यूकस टर्नओवर के माध्यम से साफ हो जाते हैं. होंगजी का कहना है कि यह सिंथेटिक जेल सेल्फ-हीलिंग फंक्शन की नकल करता है, जो एक प्रमुख भौतिक गुण है और संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में म्यूकस की लुब्रिसिटी और प्रोफिलैक्सिस को सक्षम बनाता है.

होंगजी के मुताबिक, यह जेल लोगों को अपने यौन स्वास्थ्य पर अधिक नियंत्रण रखने में मदद कर सकता है. यह उस परिस्थिति में सुरक्षा प्रदान कर सकता है, जब कंडोम का विकल्प उपलब्ध न हो, या कंडोम के फटने या गलत उपयोग के मामले में बैक-अप सुरक्षा के रूप में भी उपयोगी साबित हो सकता है.

होंगजी कहते हैं कि सिंथेटिक जेल में मौजूद म्यूसिन इम्यून सेल्स की सक्रियता को कम करने में मदद करता है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि एक्टिव इम्यून सेल्स एचआईवी प्रतिकृति को उत्तेजित करती हैं. यह प्रोजेक्ट स्वीडन के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और करोलिंस्का इंस्टिट्यूट व टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख की लैब्स का सामूहिक प्रयास है. इस जेल के लुब्रिकेटिंग गुणों का विश्लेषण मार्टिन क्रेश्चमर द्वारा टीयूएम में किया गया, वायरल टेस्ट करोलिंस्का इंस्टिट्यूट में राफेल सीना-डायज ने किए.

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