Lohri 2024: लोहड़ी का पर्व आज, जानें शुभ मुहुर्त और पूजन विधि
जानें लोहड़ी का क्या है महत्व ?
Lohri 2024: देश में आज लोहड़ी का त्यौहार मनाया जा रहा है. वैसे तो यह त्यौहार सिख और पंजाबियों का खास त्यौहार मना गया है. लेकिन अब यह त्यौहार उत्तर भारत में काफी भव्य तौर पर मनाया जाता है. लोहड़ी का त्यौहार प्रतिवर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस त्यौहार की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है.
इस त्यौहार के बाद से दिनों का बड़े होने की शुरूआत हो जाती है, यानी माघ शुरू हो जाता है. यह पूरे विश्व में मनाया जाता है. हालांकि, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ये त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. लोहड़ी की रात को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसके बाद अगले दिन मकर संक्राति का त्यौहार मनाया जाता है.
इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी की है, इसीलिए कई स्थान पर लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी यानी आज भी मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं लोहड़ी की पूजा विधि, महत्व, अग्नि का धार्मिक महत्व और अन्य बातों के बारे में…
Lohri की तिथि
ज्योतिषों के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है और प्रतिवर्ष लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति के त्यौहार के पहले यानी 13 जनवरी को मनाया जाता था. लेकिन इस बार मकर संक्रांति 15 को पड़ने की वजह से लोहड़ी का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन रवियोग बन रहा है, जो काफी फलदायक सिद्ध होने वाला है .
आग लगाने का शुभ मुहूर्त
लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित करने का शुभ मुहूर्त सायं 05 बजकर 34 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 12 मिनट तक है.
Lohri का क्या है महत्व
लोहड़ी पर्व अक्सर नई फसल की बोआई और पुरानी फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है. इस दिन से किसान अपनी नई खेती की कटाई शुरू करते हैं और अग्नि देव को भोग लगाना सबसे पहले होता है. अच्छी फसल की कामना करके ईश्वर को धन्यवाद देते हैं. साथ ही रवि की फसल जैसे मूंगफली, गुड़, तिल आदि लोहड़ी की अग्नि में अर्पित की जाती हैं. साथ ही सूर्य देव और अग्नि देव को धन्यवाद देते हुए प्रार्थना की जाती है कि आपने इस फसल पर जितनी कृपा बरसाई है, उसी तरह अगले वर्ष भी फसल अच्छी पैदावार दें.
लोहड़ी में अग्नि पूजा का महत्व
लोहड़ी पर्व का मुख्य आकर्षण रात को जलाई जाने वाली आग है, जिसे लोहड़ी बोला जाता है. लोहड़ी में जलने वाली आग अग्नि देव का प्रतिनिधित्व करती है. रात को एक स्थान पर आग जलाई जाती है, सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द इकट्ठा होते हैं. इसके बाद सभी लोग एकत्र होकर अग्निदेव को गुड़, तिल और अन्य मिठाइयां चढ़ाते हैं. लोककथाओं में कहा जाता है कि लोहड़ी पर जलाए गए अलाव की लपटें लोगों के संदेश और प्रार्थनाओं को सूर्य देवता तक ले जाती हैं ताकि फसलों को बढ़ने में मदद मिल सके.बदले में सूर्य देव भूमि को आशीर्वाद देते हैं. लोहड़ी के अगले दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है.
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पूजन विधि
लोहड़ी पर एक स्थान पर लकड़ी को जलाया जाता है.
सभी लोग इस अग्नि की परिक्रमा करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
इस दिन खेतों में लोग लोहड़ी का त्योहार मनाते हैं.
इस दौरान लोग एक दूसरे को शुभकामना देते हैं.
फिर रेवड़ी, गजक और अन्य सामग्री लोगों में बांटी जाती है.