उत्तर प्रदेश में पशुपालक क्यों भाग रहे हैं पशुपालन से?
उत्तर प्रदेश के पशुपालक तेजी से राज्य में पशुपालन से किनारा कस कर रहे हैं। इसके पीछे कारण है समस्त दुधारु पशुओं के लिए यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी करने का एक सरकारी आदेश।इससे प्रदेश के दुग्धोत्पादन पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका पैदा हो गयी है।
कान और खुर में चिप और टैग लगाया जायेगा
नये सरकारी आदेश के तहत पशुओं के कान और खुर में चिप और टैग लगाया जाना शुरू हो चुका है।कहा तो यह जा रहा है कि इस हाईटेक चिप से घर बैठे लोग आने दुधारु पशुओं खासकर गाय व भैंस की लोकेशन जान सकेंगे पर हकीकत यह नहीं है।
पशुपालकों को डर
पशुपालकों को यह डर सता रहा है कि एक बार चिप लग जाने के बाद पशुओं की चोरी, तस्करी से लेकर तमाम मामलों में वे ही गुनहगार साबित होंगे। पशुपालकों को ही हर मामले में पकड़ा जायेगा और एक पशु पालने की सजा के तौर पर उन्हें अच्छी खासी परेशानियों से होकर गुजरना होगा।
तकनीकी का प्रसार नहीं, बवाल की जड़
दरअसल प्रचार यह किया जा रहा है कि यह योगी सरकार का पशुपालकों को तकनीकी का तोहफा है। इससे न सिर्फ दुग्धोत्पादन बढ़ेगा बल्कि दवा व इलाज, निगरानी, तस्करी, चोरी रोकने में यह बेहद मददगार होगी। यही नहीं इसके जरिए पशुओं की अनुवांशिकी, उसकी प्रजाति, दूध की क्षमता समेत अन्य सारी जानकारी क्लिक करते ही सामने आ जाएगी। इस तरह यह मनुष्यों जैसा एक आधार कार्ड ही होगा।
नेशनल डेयरी डेवलमेंट बोर्ड की पहल
यह काम पशुओं की स्थिति सुधारने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की पहल पर पशुपालन विभाग द्वारा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड समेत कई इलाकों में पशुओं की टैगिंग शुरू भी हो चुकी है।
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पशु तस्करी से मिलेगी निजात
इस चिप से पशुओं की होने वाली तस्करी से निजात पायी जा सकेगी। इससे पशुओं का लोकेशन आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि संबंधित नंबर जैसे ही पशु विभाग में जाकर कंप्यूटर में डाला जायेगा पशु की लोकेशन मिल जाएगी।
घर घर जाकर इस चिप को लगाया जायेगा
उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बीबीएस यादव बताते हैं कि सभी जिलों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों, पशुधन प्रसार अधिकारियों के साथ कर्मचारी घर-घर जाकर पशुओं के खुर और कान में इस चिप को लगाएंगे। इस चिप पर यूनिक 12 नंबर पर क्लिक करते ही पशु की प्रजाति,दुग्ध उत्पादन क्षमता और उसकी सेहत की पूरी जानकारी कंप्यूटर पर मिल जाएगी।
मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी
लखनऊ समेत सभी जिलों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी को इसे शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इस चिप में पशुओं के मालिक के नाम से लेकर उसकी पूरी वंशावली की जानकारी मिल जाएगी।
उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ मवेशी
19वीं पशु गणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ मवेशी हैं और उनमें से गाय-भैंसों की संख्या लगभग ढाई करोड़ है। पहले चरण में करीब 60 लाख पशुओं को चिप लगाई जाएगी।
डेयरी किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने 2022 तक डेयरी किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इस निमित्त देश के 8.8 करोड़ मवेशी पर टैग लगाया जाएगा। इनमें 4.1 करोड़ भैंस और 4.7 करोड़ गाय शामिल हैं। इसी सिलसिले को उत्तर प्रदेश में आगे बढ़ाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक पशु
मवेशियों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इसके बाद मध्य प्रदेश (90 लाख), राजस्थान (84 लाख), गुजरात (62 लाख) और आंध्र प्रदेश (54 लाख) का नंबर है।
टैगिंग के बाद डेटाबेस होगा तैयार
टैग लगाने के बाद टेक्निशियनों की मदद से ऑनलाइन डेटाबेस में नंबर को टैबलेट के जरिए अपडेट किया जायेगा और मवेशी के मालिक को एक ‘एनिमल हेल्थ कार्ड’ जारी किया जायेगा।
किसानों की परेशानियां
-किसानों का मानना है कि उन्हें अनावश्यक तौर पर जीने व मरने वाले पशुओं के विवरण दर्ज करने के लिए अलग से रजिस्टर बनाने होंगे।
-मरने वाले पशुओं से संबंधित रजिस्टर में मृत पशुओं की आयु, मृत्यु के कारण, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोटो आदि का विवरण दर्ज करना होगा।
-अंतिम संस्कार के लिए भी विवरण लिखना होगा।
-चोरी, तस्करी आदि मामलों में वे ही जिम्मेदार माने जायेंगे क्योंकि पशु मालिक के रूप में उनका ही नाम कंप्यूटर में दिखेगा।
हो गयी है शुरुआत
इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बसाए गए गोकुल ग्राम से शुरू की गयी है। इसका औपचारिक शुभारंभ पीएम ने विगत दिनों किया। उस समय 323 गायों, सांड़ व बछड़े-बछिया को आईडी नंबर अलॉट कर कानों में यूनिक आईडी टैगिंग गयी है।
सरकार का ध्यान क्यों सिर्फ गायों पर क्यों?
इस बाबत यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा- ‘स्पष्ट है कि इस सरकार के लिये इंसान से ज्यादा महत्वपूर्ण गायें हैं। अब इन्होंने नया एजेंडा तैयार किया है। ठीक है,टैगिंग करें पर पशुपालकों के हितों का भी ध्यान रखे सरकार। ये फैसला पशुपालकों के हित में होना चाहिए न कि परेशानी खड़ी करने के लिए। इसे सरकार को ही देखना है। दूसरी बात गायों की तरफ से थोड़ा ध्यान हटा कर सरकार को जनता की तरफ भी देखना चाहिये। बेरोजगारी को भी टैग करे सरकार। जितने बेरोजगार लोग है उनके पास भी यूनिक आईडी है तो सरकार बेरोजगारी की भी टैगिंग करे। मजदूरों की भी टैगिंग करे उन्हें रोजगार दिलवाये।
प्रदेश भर में जो अन्ना गायें घूम रही हैं उनका क्या?
सपा के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन कहते हैं – ‘सरकार के लोग बहुत होशियारी के साथ अपने मुद्दे को आम आदमी पर थोप रहे हैं। टैग तो ये लोग कर लेंगे पर उसके बाद अगर पशु को कुछ होगा तो उसके मालिक को ही पकड़ेंगे, ऐसे में जो भी पशुपालक है, उन्हें ही परेशान होना होगा। सरकार के एजेंडे में केवल पशु ही हैं। कभी ये गौ हत्या की बात करते है, इनके लोग गौ तस्करी के नाम पर गुंडई करते हैं और अब टैगिंग की बात कर रहे हैं। इन्होंने वादा किया था कि सरकार में आएंगे तो गौशाला बनायेंगे, जानवरों का इलाज करायेंगे पर क्या ये कुछ कर रहे हैं, नहीं। चलिये ठीक है कि ये पालतू गाय-भैसों को यूनिक आइडेंटीफिकेसन नंबर दे देंगे, पर ये तो बतायें कि बुंदेलखंड सहित तमाम जगहों पर जो अन्ना गायें घूम रही हैं या और जगह सड़कों पर जो जानवर घूम रहे हैं उनकी टैगिंग कैसे होगी? क्या सरकार इस बारे में भी कुछ सोच रही है?
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