कानून बदला मगर हालात नहीं… अब भी हर दिन हो रहे 86 रेप…
देश में सख्त कानून तो है, लेकिन बावजूद इसके भी किसी तरह की इसमें कमी देखने को नहीं मिल रही
* भारत में हर घंटे तीन महिलाओं का रेप यानि 20 मिनट में एक घटना
* 96 फीसदी जानने वाले करते है रेप.
* देश में महज 27 फीसद को सजा बाकी सभी बरी…
कोलकाता में लेडी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले के बाद देश में भारी आक्रोश है. सभी जगह न्याय को लेकर तरह- तरह के प्रदर्शन किए जा रहे है लेकिन नतीजा कुछ ऐसा है कि बात होती है, समय गुजरता है और मामला ठंडे बास्ते में चला जाता है. हमारे देश में सख्त कानून तो है, लेकिन बावजूद इसके किसी तरह की इसमें कमी देखने को नहीं मिल रही है और न ही सजा का डर…
NCRB ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब चार लाख मामले दर्ज होते है. इन अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं, बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, किडनैपिंग, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं. इस लेख में महिलाओं के खिलाफ अपराध का जिक्र इसलिए क्योंकि फिलहाल कुछ रेप के मामलों ने देश को हिलाकर रख दिया है. हाल ही में कोलकाता के रेप और हत्या का मामला अभी चर्चा में है जबकि 2012 में भी निर्भया कांड ने सभी को चौंका दिया दिया था जिसकी कोलकाता कांड ने यादें तजा कर दी है. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और लोगों के द्वारा आरोपी को सख्त सजा देने की मांग की जा रही है.
सख्त कानून, पर हालात वही…
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में देर रात एक युवती से बलात्कार किया गया था.इस दौरान दरिंदों ने सभी हदे पर कर दी थी. जिसमें युवती की मौत हो गयी थी. इसके बाद इस हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया था. इस रेप कांड के बाद रेप की परिभाषा ही बदल गयी थी लेकिन उसके बाद भी इसमें कोई कमी नहीं देखने को मिली. रेप की परिभाषा बदलने का मतलब यह था कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी लाई जा सके. 2103 में कानून में संशोधन कर इसका दायरा बढ़ाया गया. इतना ही नहीं रेप के मामलों में कमी के लिए जुवेनाइल कानून में संशोधन किया गया था. इसके बाद अगर कोई 16 साल और 18 साल से कम उम्र का कोई किशोर जघन्य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क की तरह ही बर्ताव किया जायेगा क्योंकि निर्भया कांड में एक आरोपी नाबालिग था जो कि महज तीन साल बाद रिहा हो गया था.
रेप मामलों में सजा का प्रावधान…
बता दें कि, रेप के मामलों में अब मौत की भी सजा का प्रावधान किया गया है. अगर रेप के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या फिर कोमा में चली जाती है तो दोषी को फांसी की सजा भी दी जा सकती है. हालांकि इस कानून में बदलाव के बरइ भी सुधार नहीं हुआ है जो चिंता का विषय है. आंकड़े बताते हैं कि 2012 से पहले करीब 25 हजार प्रति साल आंकड़े दर्ज किए जाते थे. लेकिन जब से डिजिटल का दौर आया है तब से यह और ज्यादा बढ़ गया है.
डरा रहे है आंकड़े…
NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा है. 2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले करीब ढाई लाख थे जबकि 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 4.45 लाख के करीब पहुंच गया है, यानि हर दिन देशभर में करीब 1200 मामले. वहीं, रेप के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. एनसीआरपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में रेप के 24 हजार 923 मामले दर्ज हुए थे. यानी, हर दिन औसतन 68 मामले.जबकि, 2022 में 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे. इस हिसाब से हर दिन औसतन 86 मामले दर्ज किए गए. यानी, हर घंटे 3 और हर 20 मिनट में 1 महिला रेप की शिकार हुई….
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रेप मामले में दूसरे स्थान पर है यूपी…
अगर राज्यों में रेप के मामलों की बात करें तो उत्तर प्रदेश अब महिलाओं के लिए असुरक्षित होता जा रहा है. रेप के मामलों में यूपी दूसरे नम्बर पर है जबकि पहले नम्बर पर राजस्थान है.
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रेप के इतने मामलों में होती है सजा…
गौरतलब है कि भारत में सख्त कानून और सजा के बाद भी महज 27 फीसद लोगों को ही सजा मिल पाती है और बाकी लोग बरी हो जाते हैं. रिपोर्ट बताती है कि 2022 के आखिर तक देशभर की अदालतों में रेप के लगभग दो लाख मामले लंबित थे. 2022 में इनमें से साढ़े 18 हजार मामलों में ही ट्रायल पूरा हुआ, इनमें से करीब 5 हजार मामलों में ही दोषी को सजा दी गई. जबकि, 12 हजार से ज्यादा मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया.