Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला लता मंगेशकर को काशी वासियों ने पुण्यतिथि पर किया याद

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Lata Mangeshkar death anniversary: वाराणसी के पितरकुंडा त्रिमुहानी पर मंगलवार को सामाजिक संस्था डर्बीशायर क्लब के बैनर तले जुटे प्रशंसकों ने भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस दौरान क्लब के शकील अहमद जादूगर ने कहा कि 6 फरवरी 2022 को आज के ही दिन लता मंगेशकर फानी दुनिया के संगीत प्रेमियों को छोड़कर चली गईं. उनके गाए गीत जब तक चांद और सूरज रहेंगे, हमारे कानों में उनकी मधुर आवाज के साथ खनकते रहेंगे.

आवाज में था सम्मोहन, दी श्रद्धांजलि

लता मंगेशकर सरस्वती की साक्षात मूरत थीं. कोयल सी मीठी मधुर आवाज से दुनिया को सम्मोहित करने वाली लता दीदी ने मराठी, बंगाली, गुजराती, भोजपुरी जैसी और भी भाषाओं में गीत गाये, अपने गीतों से उन्होंने भारत का नाम रौशन किया. कार्यक्रम में युवाओं ने लता दीदी के गानों को गुनगुना कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसमें हैदर, चिंतित बनारसी, प्रमोद वर्मा, हैदर मौलाई, आफाक आदि शामिल रहे.

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इच्छा रह गयी अधूरी

भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर बाबा विश्वनाथ को सुप्रभातम सुनाने की इच्छा अधूरी ही रह गई. काशी के विद्वानों को आज भी यह कसक महसूस होती है कि काश लता जी ने श्री काशी विश्वनाथ सुप्रभातम को अपना स्वर दे दिया होता. काशी के विद्वानों के मन में यह विचार आया था कि बाबा विश्वनाथ का सुप्रभातम भी होना चाहिए.

गायक और गायिका के नाम पर विचार किया गया तो तय हुआ कि भारत रत्न एम एस सुब्बुलक्ष्मी से गवाया जाए. उन्होंने जब इसकी रिकॉर्डिंग पूरी की तो विद्वानों ने विमर्श किया कि इसको लता मंगेशकर से भी गवा लिया जाए, लेकिन किन्हींा कारणों से यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. लता जी भारतीय संगीत और संस्कृति की राजधानी कहे जाने वाले बनारस में केवल एक बार आईं. इसके बाद उन्होंने कभी भी बनारस में कदम नहीं रखा.

 

 

 

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