गांव की ‘प्रधान बिटिया’ ने बनवा दिये 52 घरों में ‘शौचालय’

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बिजनौर की बुडगरा गांव पंचायत की प्रधान ललिता ने इस भ्रम को तोड़ दिया है कि हर काम सरकार करेगी। उन्होंने गांव में शौचालय निर्माण के लिए आया सरकारी धन लौटा दिया और स्वयं इस मिशन में जुट गईं। उन्होंने अब तक गरीबों के 52 घरों में शौचालय बनवा दिया है।

सरकारी पैसा लौटा के स्वयं के पैसों से बनवा दिया शौचालय

हमारे बहुत से भ्रम में से एक यह भी है कि हर समस्या का समाधान सरकार करेगी, लेकिन क्या स्वच्छता के लिए भी हमें सरकार की ओर देखना चाहिए? उत्तर प्रदेश में बिजनौर की बुडगरा ग्राम पंचायत की महिला प्रधान ललिता चौहान ने कम से कम अपने इलाके में इस भ्रम को तोड़ दिया है। उन्होंने गांव में शौचालय निर्माण के लिए आया सरकारी पैसा लौटा दिया और खुद इस मिशन में जुट गईं। गरीबों के 52 घरों में शौचालयों का निर्माण अब पूरा होने वाला है। वह यह कर सकीं, इसलिए कि कोई उन्हें यह बताने वाला नहीं था कि स्वच्छता समाज का नहीं, सरकार का मिशन है। मुबारकपुर कलां के बाद बुडगरा यह कमाल करने वाला बिजनौर का दूसरा गांव बन गया है।

शौचालय के लिए सरकारी पैसा क्यों?

यह गांव किरतपुर ब्लॉक में पड़ता है। जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर। 5500 से ज्यादा आबादी वाले गांव में स्वच्छता मिशन के तहत 14.40 लाख रुपये पंचायत के खाते में आए थे। 120 शौचालय बनाने के लिए। ग्राम प्रधान कहती हैं कि गांव के बहुत से लोग खुद सक्षम थे। बस जागरूकता की जरूरत थी। ग्राम प्रधान और उनके पति ने उन लोगों की सूची बनानी शुरू की, जो वाकई शौचालय बनवाने में असमर्थ थे। इसी दौरान यह अहसास हुआ कि शौचालय के लिए सरकारी पैसा क्यों? ग्राम प्रधान ने सरकारी बजट लौटा दिया और खुद के पैसों से गांव में 52 शौचालय बनवाने का फैसला किया। यह मिशन अब पूरा होने को है। बात ऊपर तक पहुंची तो सीडीओ समेत कई अफसरों ने भी अपने पैसों से एक-एक शौचालय बनवाने का प्रस्ताव दिया।

एक शौचालय पर करीब 7500 का खर्च आया

लेकिन ग्राम प्रधान ने कहा कि फिलहाल जरूरी पैसा जुट गया है। उनका सामान, इनका श्रमदान ग्राम प्रधान और उनके पति ने हर गरीब परिवार को 800 ईंट, 3 बोरी सीमेंट, रेत, दरवाजा, टाइल्स दिए हैं। एक शौचालय पर करीब 7500 का खर्च आया। ललिता चौहान के पति धीरेंद्र प्रताप कहते हैं कि हम अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहे हैं। गांव के सक्षम लोग खुद ही शौचालय बनवा रहे हैं। हमारा गांव जल्द ही खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा। सीडीओ इंद्रमणि त्रिपाठी कहते हैं कि यह पहल दूसरी पंचायतों को भी सीख देगी।

अन्य गांवो के लिए बनी सीख

हमारे बहुत से भ्रम में से एक यह भी है कि हर समस्या का समाधान सरकार करेगी, लेकिन क्या स्वच्छता के लिए भी हमें सरकार की ओर देखना चाहिए? उत्तर प्रदेश में बिजनौर की बुडगरा ग्राम पंचायत की महिला प्रधान ललिता चौहान ने कम से कम अपने इलाके में इस भ्रम को तोड़ दिया है। उन्होंने गांव में शौचालय निर्माण के लिए आया सरकारी पैसा लौटा दिया और खुद इस मिशन में जुट गईं। गरीबों के 52 घरों में शौचालयों का निर्माण अब पूरा होने वाला है। वह यह कर सकीं, इसलिए कि कोई उन्हें यह बताने वाला नहीं था कि स्वच्छता समाज का नहीं, सरकार का मिशन है। मुबारकपुर कलां के बाद बुडगरा यह कमाल करने वाला बिजनौर का दूसरा गांव बन गया है।

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