जानें, दिवाली पूजन का शुभ समय और पूजा विधि एवं मंत्र
प्रकाश पर्व दीपावली के मौके पर मां लक्ष्मी और गणेश पूजन का विशेष महत्व है। 7 नवंबर, बुधवार को दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। किस लग्न और किस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन किया जाए जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति रहे। इसके लिए जरूरी है कि शुभ लग्न में ही दीवाली पूजन किया जाए।
मुहूर्त में भी दीवाली पूजन श्रेष्ठ रहेगा
आज अमावस्या रात्रि 21.31 बजे तक रहेगी। स्वाति नक्षत्र रात्रि 19.36 बजे तक रहेगी। इसके बाद विशाखा नक्षत्र रहेगा। वृश्चिक लग्न सुबह 6.56 से 9.13 बजे तक रहेगा। कुम्भ लग्न का समय 13.05 से 14.35 बजे तक रहेगा। इस लग्न में पूजन करने से व्यवसाय में उत्तम लाभ मिलेगा। वृष लग्न सायं में 17.41 से 19.38 बजे श्रेष्ठ रहेगी। इस मुहूर्त में ही दीवाली पूजन करना लाभकारी रहेगा। इसके बाद सिंह लग्न रात्रि 12.09 से रात 2.23 बजे तक रहेगी। इस मुहूर्त में भी दीवाली पूजन श्रेष्ठ रहेगा।
आचार्य प्रदीप के मुताबिक मंगलवार रात से ही अमावस्या लग चुकी है। दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी और कुबेर के पूजन के लिए वृष लग्न में शाम 17.41 से 19.38 बजे तक दीपावली पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है।
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चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की स्थापना पूरब या पश्चिम दिशा की ओर मुख कर करें।
-लक्ष्मी प्रतिमा को गणेश जी के दाहिने और वरुणदेव के प्रतिक कलश को मां लक्ष्मी के पास ही चावल पर ही स्थापित करें।
-तेल और घी के दो दीपक जलाएं और उन्हें लक्ष्मी प्रतिमा व कलश के पास स्थापित करें।
मां के आह्वान के साथ ही दोनों प्रतिमाओं का आचमन करें लाल रंग के नववस्त्रों, कमल पुष्प से सुसज्जित करें।
-पंचगव्य (दुग्ध, दही, मधु, गंगाजल और शर्करा) का भोग लगाएं। भोग को चांदी के पात्र में लगाएं।
-पूजन के दौरान ‘ॐ भूर्भव: स्व: महालाक्ष्मै नम:’ का जाप करें।
-पूजन और आरती के बाद चूरा, खील बताशे, लईया, गट्टे, सफ़ेद मिष्ठान और मौसमी फल चढ़ाएं।
-व्यापारी बंधू पूजन के समय अपने बही-खाते के साथ सिक्कों की थैली-तिजोरी की चाभी भी पूजन के स्थान पर रखकर पूजन करें। साभार
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