महिला डॉक्टर, रात्रि ड्यूटी और उनकी चुनौतियां…

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रात की शिफ़्ट में द्वितीय वर्ष की एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ रेप और फिर हत्या के बाद पूरे देश में डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. देश के कई राज्यों में इसको लेकर अब प्रदर्शन तेज है. इतना ही नहीं इस घटना के बाद प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि जब तक रेप और मर्डर मामले में जांच पूरी नहीं हो जाती वो काम पर नहीं लौटेंगे.

देशभर के विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने इस मामले में एक निष्पक्ष जांच की मांग की है. साथ ही केंद्र सरकार से महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक खास कानून बनाने की बात की है.

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भारत में दिन पर दिन बढ़ती महिला स्वास्थ्यकर्मियों पर हिंसा…

गौरतलब है कि भारत में स्वास्थ्यकर्मियों पर बढ़ती हिंसा पर मेडिकल जर्नल लैंसेट ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें उन्होंने कहा है कि भारत में “साल 2007 से 2019” के बीच स्वास्थ्यकर्मियों के ख़िलाफ़ हिंसक हमलों के 153 मामले दर्ज किए गए जो बेहद चिंताजनक है.

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इतना ही नहीं इसमें दावा किया गया है कि हमारी गहरी नजर भारत में स्वास्थ्यकर्मियों पर बढ़ते हिंसा पर रही है. साल 2020 में भारत में 225 तथा 2021 में करीब 110 हिंसा हुई है. इनमें ज़मीनी स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर पर हुई हिंसा भी शामिल हैं.

तो आइए जानते हैं अस्पतालों में रात की पाली में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के डर और सुरक्षा की चिंताओं के बारे में…

मरीजों के नशेड़ी धुत साथियों के निपटना चैलेंज….

बता दें कि दिल्ली में कई जाने- माने अस्पताल है जो 24 घंटे निरंतर संचालित होते हैं. इसमें लोकनायक अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल और लेडी हार्डिंग कॉलेज हैं. इनमें दो अस्पताल दिल्ली सरकार जबकि एक अस्पताल केंद्र सरकार संचालित करती है.

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लोकनायक अस्पताल में तैनात डा. अग्रवाल ने जर्नलिस्ट कैफे से बातचीत में बताया कि यहां गेट में मेटल डिटेक्टर तो लगा है लेकिन वह संचालित नहीं है. कई बार इस मामले में शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि यहां से कोई भी आदमी बिना रोक-टोक के निकल सकता है. आरोप भी लगाया कि यहां लगे कैमरे में कोई निगरानी ही नहीं करता है.

नशे में धुत लोगों से पड़ता है निपटना

वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में तैनात एक नर्स (नाम न छापने की शर्त पर ) ने बताया कि डॉक्टर और नर्सों को मरीज़ों के परिवारों की धमकी का डर रहता है. “हमें अक्सर रात में नशे में धुत्त मरीज़ों के साथ आने वालों से निपटना पड़ता है.”

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रात में सिक्योरिटी के पर्याप्त इंतजाम नहीं…

जबकि दूसरी तरफ,लोकनायक अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे प्रथम वर्ष के छात्र ने कहा, “अस्पताल के कुछ हिस्सों में रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल के परिसर में मरीज़ों के साथ आए लोग फ़र्श पर सोते हैं.” अस्पताल में रात में सिक्योरिटी बहुत नाम मात्र की रहती है. जब मैं अंदर गया तो किसी ने भी मुझे चेक नहीं किया. दो गायनेकोलॉजी इमर्जेंसी वार्डों में महिला गार्डों ने वहां आने का मक़सद ज़रूर पूछा लेकिन और कोई सवाल नहीं किए.

 

लखनऊः ‘बाहरी लोग बेरोक टोक आ सकते हैं

देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं यह हाल देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित KGMU अस्पताल का है, जहाँ बिना रोक-टोक के लोग अंदर आ आते और चले जाते हैं. गेट में दो गार्ड तैनात तो रहते हैं लेकिन जांच के नाम पर वह किसी को रोकते नहीं और न ही किसी से कोई पूछताछ करते हैं.

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इतना ही नहीं कई बार यह भी देखने को मिलता है कि रात में ड्यूटी के दौरान वार्डों में महिला गार्ड तैनात होती है और मरीजों के परिजन पुरुष रात्रि में देखरेख करते हैं. इससे महिला गार्ड अपने आपको असहज महसूस करती हैं.

दूसरी तरफ, KGMU की वरिष्ठ रेज़िडेंट डॉक्टर नीता ने Journalist Cafe से बातचीत में शिकायत की कि मरीज़ों के साथ आने वाले लोग ड्यूटी डॉक्टरों से बुरा बर्ताव करते हैं. उन्होंने कहा, “इन हालात में, हम सिक्योरिटी को बुलाते हैं, जो शायद ही कुछ करते हैं. आख़िरकार हमें ही हालात से निपटना पड़ता है.” हॉस्टल के हिस्से में रोशनी की पूरी व्यवस्था नहीं है और कई जगह अंधेरा रहता है.

 

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अधिकारियों ने दी सफाई…

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा, “हमारे पास कैंपस, हॉस्टल और वार्डों में पर्याप्त सुरक्षा तंत्र है. हमारे पास प्रोक्टोरियल टीम और हॉस्टल में एक टीम है. वार्डों में सुरक्षा गॉर्ड हैं. कैंपस में हमें अभी तक किसी तरह की घटना की रिपोर्ट नहीं मिली है. विशाखा गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जाता है. प्रमुख जगहों पर सीसीटीवी लगाए गए हैं और उनकी नियमित निगरानी की जाती है.”

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