विविधताओं के देश में जानें किन विभिन्नताओं से साथ मनाई जाती है नवरात्रि
नवरात्रि विशेष: हमारा देश विविधताओं का देश है, यहां बोली, पहनावा, खाना पान, रहन सहन यहां तक की पानी भी अलग है, लेकिन फिर भी हमारा देश एकता की बड़ी मिसाल पेश करता है. ऐसे में कई सारे त्यौहार हैं जो एक साथ पूरे देश में मनाए जाते हैं, लेकिन इन त्यौहारों को मनाने के तरीके हर राज्य में अलग होते हैं. ऐसे में देश को एकता के सूत्र में बांधता एक ऐसा ही त्यौहार है नवरात्रि. जिसकी शुरूआत 3 अक्टूबर से होने जा रही है. जिसकी धूम देश भर में पहले से ही शुरू हो गयी है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे है कि, भारत के अलग – अलग राज्यों में किस तरह से मनाया जाता है नवरात्रि का त्योहार….
जाने किन राज्यों में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि ?
बिहार और यूपी
यूपी और बिहार में एक ही तहर से नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है, इन दोनों ही राज्यों में हिन्दू महाकाव्य रामायण भगवान राम के जीवन का नाट्यकीय रूप मंच, मंदिरो में दर्शाया जाता है. इसके अलावा यूपी और बिहार में नवरात्रि की कई सारी समानताएं मिलती है, जिसमें नवरात्रि की समाप्ति पर छोटी बालिकाओं को भोज कराया जाता है, जिसके बाद ही पूरे नवरात्र के दौरान व्रत रखने वाले लोग भोजन ग्रहण करते हैं. साथ ही मंदिरों में देवी की खास पूजा अर्चना की जाती है और लोग पंडालों में जाकर माता के दर्शन करने के साथ ही सप्तशती का पाठ भी करते हैं.
असम और पश्चिम बंगाल
वहीं पश्चिम बंगाल और असम में हर साल अलग-अलग थीम पर भव्य पंडाल बनाए जाते हैं, जिसमें दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय, सरस्वती और लक्ष्मी की सुंदर मूर्तियों को स्थापित किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, चार दिनों की अवधि के लिए पुजारी संस्कार करते हैं. वही दशमी के दिन देवी को भव्य विदाई दी जाती है. असम, झारखंड और त्रिपुरा में भी देवियों की पूजा की इसी तरह की प्रथा से की जाती है. वहीं पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान आपको ढाक की थाप पर नाचना, पंडाल घूमना, स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लेना और सुंदर कपड़े पहनने का प्रचलन है.
राजस्थान
राजस्थान में नवरात्रि के साथ ही दशहरा मेला त्योहारी सीजन की शुरुआत है. राजस्थान में नवरात्रि पर प्रसिद्ध दशहरा मेला का भव्य आयोजन किया जाता है. यहाँ 72 फुट ऊँचा रावण का पुतला लगाया जाता है और उसे दशहरे पर फूंका जाता है. इसके बाद धनतेरस से 20 दिनों के एक मेले का आयोजन किया जाता है, जो भारत में एक और धार्मिक त्योहार दिवाली की शुरुआत का संकेत है.
गुजरात
गुजरात में नवरात्रि मनाने का एक अलग ही तरीका है, भक्त दुर्गा और उनके नौ अलग-अलग अवतारों का सम्मान करने के लिए नौ दिनों तक उपवास करते है. वहीं जो महिलाएं उपवास करती हैं, वे हर शाम दीयों से जलते हुए मिट्टी के बर्तन में अपनी प्रार्थना समर्पित करती हैं. गारबो नामक बर्तन प्रकाश शक्ति (शक्ति) और जीवन के स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है. गुजरात में नवरात्रि को गरबा रास भी कहा जाता है, जो पुरुषों और महिलाओं द्वारा गरबो या दुर्गा की मूर्ति के आसपास किया जाता है.
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश की महिलाओं को वैवाहिक खुशी देने के लिए नवरात्रि उत्सव में सौम्य देवी मां गौरी की पूजा की जाती है. विवाहित लड़कियां सांप्रदायिक पूजा करके अपनी पसंद के जीवनसाथी पाने की कामना करती है. वहीं तेलुगु भाषा में त्योहार को बथुकम्मा पांडुगा कहा जाता है, जिसका अर्थ है “देवी मां, जीवित आओ!” महिलाएं देवी मां की पूजा करने के लिए स्थानीय फूलों का उपयोग करके समय-समय पर फूलों के ढेर बनाती हैं. इस ढेर को उत्सव के अंतिम दिन किसी झील या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है.
कर्नाटक
मैसूर में दशहरा पहली बार 1610 में राजा वाडयार I द्वारा मनाया गया था, जिसे अब भी मैसूर में उसी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. कर्नाटक में इस त्यौहार को नदहब्बा या राज्य-त्योहार के तौर पर मानते हैं. महानवमी (नौवां दिन) त्योहार, शाही तलवार को पूजा के लिए एक सिंहासन पर बैठाकर हाथियों और घोड़ों के जुलूस पर ले जाया जाता है. 10वें दिन (दशमी) को शहर भर में जश्न मनाया जाता है, जिसमें नर्तकियों और संगीतकारों का एक और बड़ा जुलूस, हाथी पर सोने की काठी पर सवार देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा का एक रूप) को लेकर भव्य जश्न मनाते हैं.
Also Read: नवरात्रि स्पेशल: संगम नगरी में माता के भक्तों के लिए उपहार, मिलेगी सात्विक थाली
तमिलनाडु
दक्षिण के राज्य तमिलनाडु में नवरात्रि के दौरान दुर्गा के अलावा लक्ष्मी और सरस्वती को भी पूजा जाता है. किवदंती कहती हैं कि, तीन देवी-देवताओं को तीन अलग-अलग दिनों में पूजा जाता है और लोग एक दूसरे को कपड़े, मिठाई और नारियल देते हैं. तमिलनाडु में नवरात्रि समारोहों का एक अन्य रिवाज कोलू (गुड़िया की मूर्तियां) है, जो हिंदू धर्म ग्रंथों से लोकप्रिय लेजेंड्स को बताने के लिए बनाए जाते हैं. महानवमी के दिन कई स्थानों पर आयुध पूजा भी बहुत धूमधाम से की जाती है. इस दिन देवी सरस्वती को सजाया और पूजा जाता है, जिसमें कृषि उपकरण, किताबें, संगीत वाद्ययंत्र, मशीनरी और ऑटोमोबाइल शामिल हैं.
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल में कई देवी मंदिर हैं, इसलिए राज्य में देवी की पवित्र नौ रातों को धूमधाम से मनाना लाजमी है. शेष भारत पूजा को बंद करने के करीब आते ही हिमाचल प्रदेश में नवरात्रि समारोह शुरू होते हैं. कुल्लु घाटी के ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ (राम) की नौ दिनों तक पूजा की जाती है, जिसमें दसवें दिन कुल्लू दशहरा कहलाता है.