जानें कौन हैं अलका लांबा ? जो देंगी कांग्रेस की तरफ से आतिशी को टक्कर…
2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां कमर कसकर तैयार है, जहां एक तरह आप पार्टी ऑटो वालो से लेकर दलित युवाओं को लुभाने का काम कर रही है वहीं कांग्रेस भी इससे पीछे नहीं रहने वाली है. ऐसे में आज हुई कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक में 35 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर चर्चा की गई है. बताया जा रहा है कि 35 में से 28 सीटों पर नाम तय कर लिए गए हैं. वहीं बाकी की 7 सीटों पर नाम को लेकर विचार विमर्श जारी है. ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस ने दिल्ली सीएम आतिशी को टक्कर देने के लिए कालकाजी सीट से अलका लांबा का नाम फाइनल किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन है अलका लांबा ?
कौन है अलका लांबा ?
अलका लांबा का जन्म 21 सितंबर 1971 को अमरनाथ लांबा और राजनाथ लांबा के घर हुआ था. वे दिल्ली की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल पूरी की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज से अपनी एमएससी और सेंट स्टेफन कॉलेज से एमएड की पढ़ाई कप्लीट की है. अलका लांबा एक शिक्षित और समझदार नेता हैं, जिन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद समाज सेवा और राजनीति की ओर रुख किया. वे हमेशा से शिक्षा और सामाजिक सुधारों के पक्ष में रही हैं. उनके परिवार में शिक्षा का बड़ा महत्व रहा है और यही कारण है कि उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में बदलाव लाने के लिए काम किया.
कब से शुरू हुआ राजनैतिक सफर ?
अलका लांबा ने 1994 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी, जब वह बीएससी के दूसरे वर्ष में थीं. उन्होंने राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) में शामिल होकर दिल्ली राज्य लड़की संयोजक का पद संभाला. इसके बाद 1995 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डीयूएसयू) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की.
अलका का राजनीतिक सफर यहीं नहीं रुका, 2002 में उन्हें अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के महासचिव के रूप में जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 2006 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का सदस्य बनाया गया और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डीपीसीसी) के महासचिव के रूप में काम करने का मौका मिला. 16 जुलाई 2012 को उन्हें महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग का प्रतिनिधित्व भी सौंपा गया. इस पद पर रहते हुएअलका लांबा ने महिलाओं के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनके राजनीतिक सफर ने यह साबित कर दिया कि वे एक सक्षम और प्रतिबद्ध नेता हैं, जो समाज के हर वर्ग के लिए काम करने के लिए तत्पर रहती हैं.
आप से चुनी गईं विधायक..
साल 2013 में आम आदमी पार्टी से अलका लांबा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी, जिसके बाद वे दिल्ली विधानसभा के शहादरा सीट से विधायक चुनी गई थीं. इस दौरान उन्होने अपनी सक्रियता और कार्यशैली से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया था. ऐसे में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के अधिकारों जैसे मुद्दों पर काम करती रही हैं, लेकिन 2019 में उन्होंने आम आदमी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं. कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता चुनी गईं. हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में वे कांग्रेस से चुनाव हार गईं, फिर भी उनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत बनी रही और एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें बड़े मोहरे के तौर पर उतारा है.
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इन विवादों में उछला नाम…
अलका लांबा का राजनीतिक सफर हमेशा सुर्खियों में रहा है, चांदनी चौक की विधायक रहते हुए उनका एक बड़ा विवाद दिल्ली विधानसभा में उठ चुका था, जो भाजपा के विधायक ओपी शर्मा से जुड़ा था. यह मामला 2015 का है, जब भाजपा ने अलका पर एक दुकान में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया था. आरोप था कि अलका ने ओपी शर्मा की दुकान में घुसकर कैश बिल मशीन को फेंक दिया था. इस विवाद ने दिल्ली विधानसभा में भी काफी तूल पकड़ा था.
अलका लांबा 2012 में भी सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने एक दुष्कर्म पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर दिया था. इस फैसले ने उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना कराया था. इसके अलावा, उनका दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ भी विवाद रहा था. इस विवाद के कारण उनका AAP विधायक सौरभ भारद्वाज से ट्विटर पर तीखा वाकयुद्ध हुआ था.