देश में वक़्फ़ और वक़्फ़ की संपत्तियों को लेकर कभी- कभी चर्चा होती रहती है. आपको ताजमहल का विवाद तो याद ही होगा जब यह कहा गया था कि ताजमहल वक़्फ़ की संपत्ति है या नहीं. देश में कभी- कभार होने वाले विवाद में सबसे पहले यह तय किया जाता है कि कि अमुक इमारत वक्फ की है या नहीं. और अब तो वक्फ बोर्ड एक्ट में ही बदलाव की बात चल पड़ी है.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार कल इससे जुड़े एक विधेयक को लोकसभा में पेश करेगी और इसके तहत वक्फ बोर्ड एक्ट को बदल दिया जाएगा. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अब महिलाएं भी बोर्ड में शामिल की जाएंगी, वक्फ संपत्तियों का ज़िला प्रशासन के यहां रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा. अदालतों को ये हक दिया जाएगा कि वो तय कर सकें कि अमुक संपत्ति वक्फ है या नहीं.
आज के समय में हममें से ज्यादातर लोगों ने वक़्फ़ को नाम सुना तो है लेकिन जानते नहीं है कि यह होता क्या है और यह कैसे काम करता है. किसी मस्जिद या दूसरे धर्मस्थल के वक्फ होने का मतलब क्या है? और क्या Waqf Board में तब्दीली का असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ सकता है.तो आइये जानने की कोशिश करते है कि क्या होता है वक़्फ़…..
Waqf क्या होता है?….
कहा जाता है कि वक़्फ़ शब्द अरबी भाषा वक़ूफ़ से बना है जिसका मतलब होता है ठहरना यानि रुकना. इसी से बना वक़्फ़ और यह एक ऐसी संपत्ति होती है जो जन- कल्याण को समर्पित है. इस्लाम में कहा जाता है कि वक़्फ़ दान का एक तरीका है. जो अपनी चल और अचल संपत्ति को दान कर सकता है.
कहने का तात्पर्य यह है कि आप एक रुपये से लेकर एक इमारत तक दान कर सकते हैं जो कि वक़्फ़ हो सकता है, बशर्ते वो जनकल्याण के मकसद से दान कर दिया गया हो. ऐसे दानदाता को कहा जाता है ‘वाकिफ’.
जानें क्या होता है वाकिफ?…
अब सवाल यह आता है कि वाकिफ क्या है और इसका क्या काम होता है तो आपको बता दें कि वाकिफ़ का तात्पर्य होता है, किसी विषय या व्यक्ति के बारे में विशेष ज्ञान. वाकिफ ये तय कर सकता है कि जो दान दिया गया है, मिसाल के लिए इमारत, उसका या उससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल कैसे होगा.
इस्लामिक मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद के समय 600 खजूर के पेड़ों का एक बाग बनाया गया था जिससे होने वाली आमदनी से मदीना के गरीब लोगों की मदद की जाती थी. ये वक्फ के सबसे पहले उदाहरणों में से एक है.
भारत में कब बना वक़्फ़ बोर्ड?…
बता दें कि 1947 में देश की आजादी के बाद फैली हुई सभी संपत्तियों को इकठ्ठा करने के लिए एक जगह बनाने की बात हुई. इसी तरह साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया. इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना. ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं. 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया.
इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया और 2013 में इसमें संशोधन किये गए. फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है. प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं. लेकिन इसके अपवाद भी हैं. जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता. इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है.
Waqf Board से जुड़े विवादित क्लॉज…
वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 के सेक्शन 40 के मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि किसी सम्पत्ति पर वक्फ बोर्ड का हक़ है. तो वक्फ बोर्ड स्वतः संज्ञान लेते हुए उसके बारे में जानकारी इकट्ठी कर सकता है. और वक्फ बोर्ड खुद सम्पति की इंक्वायरी करता है और इसपर फैसला सुनाता है. अगर किसी को वक्फ बोर्ड के फैसले से दिक्कत हो, तो वो वक्फ बोर्ड ट्राइब्यूनल में आवेदन दे सकता है. लेकिन ट्राइब्यूनल का फैसला फाइनल होगा. माने उस फैसले के खिलाफ अपील करने का प्रॉसेस काफी कॉम्प्लेक्स है. आप हाईकोर्ट जा तो सकते हैं, लेकिन एक जटिल कानूनी प्रक्रिया के बाद ही.
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सरकार Waqf एक्ट में क्या बदलाव चाहती है?…
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा वक़्फ बोर्ड एक्ट में केंद्र सरकार करीब 40 संशोधन करना चाहती है. कई रिपोर्ट्स के मुतबिक सरकार का जोर वक्फ में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढा़ने पर है. और साथ ही सरकार की वक्फ बोर्ड की सम्पति से जुडी ताकत पर भी कंट्रोल करने की बात कही जा रही है. सबसे ज़्यादा विवाद इसी बात को लेकर है.
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