जानें कौन सी है वो बीमारी जिसमें लाश से संबंध बनाते है लोग, खाते हैं बच्चे ?
हालही में देश – दुनिया को झकझोर देने वाले नोएडा के निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निऱाशाजनक फैसला सुनाते हुए इस मामले को बंद कर दिया है। दरअसल, कोर्ट ने निठारी कांड के दोनो आरोपी सुरिंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर इसलिए रिहा करने का फैसला लिया क्योंकि वे नेक्रोफिलिया नामक एक बीमारी से ग्रसित थे, जिसमें इंसान बच्चों को खाने और लाशों के साथ संबंध बनाने जैसी हरकत करने लग जाता है। ऐसे मे यह कोई नेक्रोफिलिया का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कोलकाता से ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें का आरोपी भी इसी बीमारी से ग्रसित था। ऐसें जानना जरूरी हो जाता है कि, आखिर ये बीमारी है क्या …किस तरह से होती है…औऱ लाश के साथ रेप की क्या होती है सजा ? आइए जानते है…
क्या होती है नेक्रोफिलिया ?
नेक्रोफिलिया नेक्रो और फिलिया दो शब्दों से मिलकर बना है, जिस नेक्रो का अर्थ होता है मरे हुए और फिलिया का अर्थ होता दोस्त या आकर्षण होता है। ऐसे में इस शब्द को शव के प्रति आकर्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक्सपर्ट की माने तो, नेक्रोफिलिया एक दिमागी बीमारी है और इस बीमारी में मरीज कई तरह की विकृतियों का आदी होता है। वैसे ये काफी रेयर डिसीज है और कई रिपोर्ट में तो ये भी कहा गया है कि ये बीमारी 10 लाख में से एक शख्स को होती है।
इस बीमारी को लेकर प्रोफेसर आनंद कुमार वसुदेवन व उनके सहयोगियों द्वारा किये गये शोध कार्य में पाया कि, नेक्रोफिलिया एक बेहद गंभीर किस्म की मानसिक बीमारी कही जा सकती है। क्योंकि इसमें शव के साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा में मरीज किसी की हत्या करने से भी गुरेज नहीं करता है। अगर किसी मरीज की शव के साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा हो रही है और उसे शव न मिले तो वह किसी की हत्या करके उसके शव के साथ यौन संबंध बनाने का काम भी कर सकता है।
बलात्कार और नेक्रोफिलिया में अंतर
बलात्कार और नेक्रोफिलिया में अंतर को बताते हुए कोर्ट ने कहा है कि, बलात्कार जीवित व्यक्ति के साथ हो सकता है, शव के साथ नहीं। जीवित व्यक्ति के अंदर भावना होती है, मृतकों में नहीं। इस कारण मरे हुए व्यक्ति के साथ बलात्कार को नेक्रोफिलिया कहते हैं।
नेक्रोफिलिया पर क्या कहता है भारत का कानून
नेक्रोफिलिया नामक यह बीमारी एक कानूनी अपराध को अंजाम देने का काम करती है। ऐसे में सवाल है कि, तो इसके लिए कोई कानून है भी या नहीं। आइए जानते है….फिलहाल नेक्रोफिलिया को लेकर भारत में कोई सजा नहीं है। वही कुछ वेबसाइट के अनुसार, नेक्रोफिलिया को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
आईपीसी सेक्शन 297 के अनुसार अगर कोई किसी इंसान की भावना को ठेस पहुंचाने की मंशा से धर्म का अपमान करने के लिए शमशान या कब्रिस्तान (लाश की खुदाई या लाश से गलत हरकत करना) में घुसता है, जबकि उस संबंधित शख्स को पता है कि उसके कार्य से किसी को ठेस पहुंचेगी तो इसे अपराध माना जाएगा।
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इन देशों में अपराध है नेक्रोफिलिया
यूके में यौन अपराध अधिनियम, 2003 की धारा 70 के तहत जानबूझकर या लापरवाही से शव के साथ संबंध बनाने पर आरोपी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है। वही कनाडा की आपराधिक संहित 1985 की धारा 182 नेक्रोफिलिया को दंडनीय अपराध बताया गया है।
गौरतलब है कि कनाडा में तो नेक्रोफीलिया शब्द का यूज किए बिना यह मेंशन है कि मृत शरीर की गरिमा व अधिकार को नुकसान पहुंचाने पर ज्यादा से ज्यादा 5 साल की सजा का हवाला दिया जा सकता है।दक्षिण अफ्रीका में आपराधिक कानून (यौन अपराध और संबंधित मामले) संशोधन अधिनियम, 2007 की धारा 14 नेक्रोफिलिया पर रोक लगाती है। यहां इसे यौन अपराध से जुड़ा मामला माना जाता है। इसके अलावा, न्यूजीलैंड, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस कानून को लेकर अधिकतम 2 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।