जानें क्या होता है ब्लैकमून ?

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ब्लैक मून की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है. अमेरिका में 31 दिसंबर यानी आज ब्लैक मून का दीदार होने जा रहा है, जबकि यूरोप, एशिया और भारत में यह घटना 31 दिसंबर की सुबह 3.57 बजे घटित होगी. यह घटना अंतरिक्ष के जानकारों के लिए खास महत्व रखती है. हालांकि, खगोल विज्ञान में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई है, फिर भी पिछले कुछ सालों में ब्लैक मून को देखने की रुचि में वृद्धि हुई है और लोग इसे समझने के लिए उत्सुक हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ब्लैक मून क्या होता है, यह सामान्य चांद से कैसे अलग है और यह घटना कब होती है ?

क्या होता है ब्लैक मून ?

ब्लैक मून की घटना तब होती है जब चांद धरती और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे चांद का चमकदार हिस्सा धरती से दूर चला जाता है. इस कारण ब्लैक मून के दौरान आकाश में सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा अंधेरा होता है. इसका एक फायदा यह भी है कि, इस दिन तारें ज्यादा स्पष्ट रूप से नजर आते हैं और अन्य ग्रहों को भी साफ देखा जा सकता है. हालांकि, इसे नग्न आंखों से देख पाना संभव नहीं होता है. वहीं अंतरिक्ष के जानकारों के लिए यह घटना खास महत्व रखती है, क्योंकि इस दौरान बृहस्पति और मंगल ग्रह पूर्व की दिशा में ज्यादा चमकते हैं. वहीं, शुक्र और शनि ग्रह सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में दिखाई देंगे, अमेरिका की नौसेना की वेधशाला के खगोलविदों का कहना है कि, ब्लैक मून को नग्न आंखों से देखा नहीं जा सकता है.

इस घटना से क्या होगा बदलाव ?

ब्लैक मून की घटना के दौरान आसमान में सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा अंधेरा होता है, क्योंकि इस समय चांद नजर नहीं आता है. यही कारण है कि दूर की आकाश गंगाओं को देखना आसान हो जाता है. चांद के पूरी तरह से आकाश में समा जाने के कारण इसे “नया चांद” भी कहा जाता है. अमावस्या तब होती है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही आकाशीय देशांतर पर होते हैं. चंद्रमा का चक्र औसतन 29.5 दिन का होता है और कभी-कभी एक महीने में दो नए चंद्रमा हो सकते हैं, जिसके कारण ब्लैक मून की घटना होती है. यह ब्लू मून से मिलती-जुलती है, जो तब होती है जब एक महीने में दो पूर्ण चंद्रमा दिखाई देते हैं. खास बात यह है कि, इस चरण के दौरान चंद्रमा दिखाई नहीं देता, जब तक कि सूर्य ग्रहण न हो.

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इस साल कब दिखेगा ब्लैक मून ?

30 और 31 दिसंबर की घटना के बाद अगला ब्लैक मून 23 अगस्त 2025 को दिखाई देगा और इसके बाद 31 अगस्त 2027 को फिर से ब्लैक मून की घटना होगी. खगोल वैज्ञानियों के लिए यह घटना खासतौर पर उत्साहजनक है क्योंकि इस दौरान वे दूसरे ग्रहों को साफ-साफ देख सकते हैं और उनके बारे में नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, ब्लैक मून केवल खगोलीय दूरबीन से ही देखा जा सकता है.

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