स्त्री के हर पार्ट में दिखने वाले चंदेरी के दरवाजे का क्या इतिहास, जानें ?
यदि आपने फिल्म स्त्री या स्त्री 2 देखी है तो, यह दरवाजा तो आपको याद ही होगा. हर बार हमारे विक्की भैय्या यानी राजकुमार राव को श्रद्धा कपूर यही से अलविदा कह कर चली जाती है. हालांकि, इस दरवाजे की पहचान मात्र स्त्री फिल्म तक ही नहीं सीमित है , बल्कि इस दरवाजे का इतिहास और इस महल की खूबसूरती हमेशा से ही पर्यटन प्रेमियों की पहली पसंद रही है, क्यों चंदेरी के इस प्रवेश द्वार के निर्माण की कहानी काफी दिलचस्प बताई जाती है.
यही वजह है कि, काफी दूर दूर से लोग इसे देखने के लिए भी यहां पर पहुंचते रहे हैं. लेकिन फिल्म में नजर आने के बाद से जो पर्यटन प्रेमी नहीं भी पहुंचे है उनकी दिलचस्पी भी इस महल और चंदेरी के इस कटी घाटी में आने लगी है, ऐसे में हम आज आपको चंदेरी के इस दरवाजे की कटी घाटी की पूरी कहानी सुनाने जा रहे हैं….
कैसे कहलाई कटी घाटी ?
चंदेरी के कटी घाटी की कहानी जानने से पहले जरूरी है कि, हम कटी घाटी की खासियत के बारे में जानें तो, बता दें कि, कटी घाटी का नाम कटी घाटी इस वजह से रखा गया था क्योकि, यहां पर स्थित 80 फीट ऊंची, 39 फीट चौड़ी और 192 फीट लम्बी चट्टान को काटकर इस प्रवेश द्वार को तैयार किया गया था, यही वजह है कि, इसे कटी घाटी के नाम से जाना जाता है.
इस कटी घाटी के अंदर प्रवेश करने के बाद उसके उत्तर में पत्थर को काटकर सीढीयां तैयार की गयी हैं, जो आपको कटी घाटी की छत की तरफ ले जाती हैं. वही शिलालेखों के अनुसार, इस प्रवेश द्वार को 1480 ईसवी में मालवा सल्तनत के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी के आगमन पर जिमन खान द्वारा तैयार कराया गया था. लेकिन यह निर्माण कोई आम कार्य नहीं था, इसके पीछे एक बहुप्रचलित कहानी है, जिसकी चर्चा सदियों से की जा रही है, वो कहानी क्या है आइए जानते हैं…
एक रात में तैयार हुई कटी घाटी
बताते है कि, 1480 ईसवी की बात है कि, एक बार मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने चंदेरी की यात्रा पर आने का ऐलान किया था, ऐसे में सुल्तान के विशेष स्वागत के लिए चंदेरी के प्रवेश द्वार पर पड़ने वाल चट्टान को काटकर दरवाजा बनाने का फैसला तत्कालीन गवर्नर शेर खान के बेटे जिमन खान ने लिया था और यह दरवाजा एक रात में तैयार करना था.
यह बात जिमन खान को अच्छे से पता थी कि, यह काम आसान नहीं है. किसी भी चट्टान को काटकर एक रात में दरवाजा बनाना बहुत बड़ी बात थी, यही वजह है कि, उसने ऐसा करने वाले को मुंह मांगा ईनाम देने का ऐलान किया. बताया जाता है कि, 100 से ज्यादा राजमिस्त्रियों में मात्र एक राजमिस्त्री ने इस नामुम्मकिन काम को करने का फैसला लिया और दिलचस्प बात यह है कि, राजमिस्त्री अपने कहे पर खरा उतरा और उसने यह काम एक रात में कर दिखाया.
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कटी घाटी बनाने वाले ने कर ली थी आत्महत्या
एक रात में चट्टान को काटकर दरवाजा तैयार करने वाले राजमिस्त्री की कला को देखकर हर कोई हैरान हो गया था और वह राजमिस्त्री भी मुंह मांगा इनाम पाने के लिए काफी उत्साहित था, लेकिन जब जिमन खान इस दरवाजे का जायजा लेने यहां पर पहुंचा तो, उसने राजमिस्त्री को यह कहकर इनाम देने से इंकार कर दिया कि, इस द्वार में तो कोई दरवाजा ही नहीं है, ऐसे में मालवा के सुल्तान की सुरक्षा को खतरा रहेगा. ऐसे में कार्य पूरा न हो पाने की वजह से यह इनाम राजमिस्त्री को नहीं दिया जाता है. जिमन खान के इस ऐलान ने राजमिस्त्री को गहरा आघात पहुंचाया और वह इस धोखे को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने उसी घाटी से कूदकर आत्महत्या कर ली. ऐसे में कटी घाटी के पास बनी कब्र उसी राजमिस्त्री की है, जिसने इसका निर्माण किया था.
राजमिस्त्री के साथ धोखा और उसकी कला दोनों ही लोगों के लिए आज भी दुख और आकर्षण का केंद्र है, यही वजह है कि, हर साल हजारों की संख्या में लोग आज भी पहुंचते है. बताया जाता है फिल्म में दिखाएं जाने के बाद यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है.