चुनावी मौसम में जानें जाट बेल्ट सीट का समीकरण

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चुनावी मौसम है… मौसम है, तो रंग बदलेगा ही. बदल भी रहा है. कभी ये रंग, कभी वो रंग. पल में तोला, पल में माशा. इस मौसम की खुमारी में जनता भी सियासी हो चली है. कहीं पर निगाहें, तो कहीं पर निशाना…. उनके बड़े-बड़े सवाल हैं. सवालों पर भी सवाल हैं. बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं. ये चाहिए, वो चाहिए. बड़ी-बड़ी तकरीरें हैं. दलीलें हैं.

ऐसे में आपको हम बताने जा रहे हैं जर्नलिस्ट कैफे के खास शो ‘सीट का समीकरण’ में मुज़फ्फरनगर लोकसभा सीट के बारे में…

बता दें कि इस सीट को जाट बेल्ट भी कहा जाता है. यह शहर गन्ना और चीनी के लिए भी जाना जाता है. 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों की वजह से बदनाम हो गया था.

1952 में बनी लोकसभा सीट…

बता दें कि मुज़फ्फरनगर सीट 1952 में अस्तित्व में आई थी. आजादी के बाद यहाँ हुए पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. इस सीट पर पहली बार कांग्रेस से हीरावल्लभ त्रिपाठी सांसद बने थे. यहाँ पर कांग्रेस लगातार तीन बार जीती लेकिन बाद में 1991 से लेकर 1998 तक भाजपा ने तीन बार चुनाव जीता.

जातीय समीकरण….

मुज़फ्फरनगर में जातीय समीकरण की बात करें तो यहाँ 20 फीसद मुस्लिम, 12 फीसद जाट, 18 फीसद दलित हैं. इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटर्स अहम भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि हर बार के चुनाव में सभी दलों की नजरें इन्ही को साधने की होती है.

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ये उम्मीदवार…

बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से डॉ. संजीव बालियान, इंडिया गठबंधन की तरफ से हरेंद्र मालिक और BSP से दारा सिंह प्रजापति मैदान में हैं.

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