भारत-चीन सीमा विवाद: जब चीनियों के छूट गये थे छक्‍के

0

चीन जिस तरह से भारत की सीमा पर मसले पैदा कर रहा है वह अच्‍छे संकेत नहीं है। भारत ने उसका मुंह तोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर रखी है। चीन और भारत से कई युद्ध हुए हैं। 1962 में एक लड़ाई हुई थी जिसमें भारत की पराजय हुई थी।

हालांकि जानकारों ने 1962 की लड़ाई में मिली हार को सामरिक हार न मान कर राजनीतिक हार करार दिया था। पर क्‍या आपको मालूम है कि 1962 अलावा भी और चीन से भारत का युद्ध हुआ था और उसमें भारतीय सेना ने चीनियों को धूल चटा दी थी।

1967 फर्स्‍ट: चीनियों ने खोये थे 400 से अधिक सैनिक

1962 की हार के पांच साल बाद एक बार फिर से चीनी और भारतीय सेना आमने सामने हुई। 1967 में भारतीय सैनिकों ने चीनियों को करारी हार का स्‍वाद चखाया था। 1967 के टकराव के दौरान भारत की ग्रेनेडियर्स बटालियन नाथूला के सुरक्षा संभाल रहा था। इस जगह पर दोनों देशों के सैनिकों के भी अक्‍सर झड़प होती रहती थी।

चीन

इस झड़प को रोकने के लिए भारत ने 11 सितंबर 1967 नाथूला से सेबुला के बीच में तार बिछाने का काम शुरू किया। चीनियों ने इसका विरोध किया। थोड़ी ही देर में उन्‍होंने गोलीबारी शुरू कर दी और करीब 70 सैनिक शहीद हो गये। इसके बाद जवाबी कार्रवाई हुई जिसने चीनियों को हालत खराब कर दी। भारत ने शानदार रणनीति का प्रदर्शन करते हुए आर्टिलरी का इस्‍तेमाल किया और भारतीय तोपों की जद में आकर तकरीबन 400 चीनी मारे गये।

भारत की ओर से  तीन दिन तक फायरिंग जारी रही। चीन को इस तरह के जवाबी कार्रवाई का  अंदेशा नहीं था. इस लड़ाई में न सिर्फ चीनी सैनिकों की ही जान गयी बल्कि उनकी मशीनगन यूनिट और दर्जनों बंकर भी पूरी तरह तबाह हो गये थे।

1967 सेकेंड: चीनी हमलावरों को सिखाया सबक

चीनी सेना हार को पचा नहीं पा रही थी। हार का बदला लेने के लिए अक्टूबर 1967 को चीनियों ने चाओला इलाके में हमला किया। पर वहां तैनात 7/11 गोरखा राइफल्स एवं 10 जैक राइफल्स चीनी सेना के हमले को नाकाम कर तगड़ा सबक सिखाया। सर्दी शुरु होते ही भारतीय फौज करीब 13 हजार फुट ऊंचे चाओला पास पर बनीं अपनी चौकियों को खाली कर देती थी।

चीन ने अक्टूबर का हमला यह सोचकर किया था कि चौकियां खाली होंगीलेकिन चीन की मंशा को देखते हुए भारतीय सेना ने सर्दी में भी वहां मुस्‍तैद दी। चीनियों के हमले का जवाब भारतीय सेना ने तोप के गोलों से दिया। इस लड़ाई का नेतृत्‍व मेजर जनरल सागत सिंह ने किया और इसी दौरान नाथूला और चाओला दर्रे की सीमा पर तारबंदी भी की गयी।

चीनियों को हमला पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। इस लड़ाई में कर्नल राय सिंह को महावीर चक्रशहादत के बाद कैप्टन डागर को वीर चक्र और मेजर हरभजन सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

1987 में बिना लड़े ही वापस हो गये थे चीनी

चीनियों ने 1987 में एक बार फिर से भारत की ओर आंख उठाने की हिमाकत की। इस संघर्ष की शुरुआत तवांग के उत्तर में समदोरांग चू रीजन में 1986 में हुई. जिसके बाद उस समय के सेना प्रमुख जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी के नेतृत्व में ऑपरेशन फाल्कन हुआ था।

चीनी सैनिकों ने भारत के समदोरांग चू इलाके में घुसने की कोशिश की थीतो भारत के तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल सुंदरजी ने तत्काल कार्रवाई करके  चीन को ऐसे पेच में डाल दिया था कि उनके सैनिकों को चुपके से जाना पड़ा था। आपरेशन फाल्‍कन में जनरल सुंदर जी ने सेना को जेमीथांग नाम की जगह पर पहुंचाने के लिए इंडियन एयरफोर्स को रूस से मिले हैवी लिफ्ट MI-26 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था। क्‍योंकि वहां पहुंचने का कोई रास्‍ता नहीं था और सेना को जल्‍दी से वहां पहुंचाना था।

सिर्फ इतना ही नहीं लद्दाख के डेमचॉक और उत्तरी सिक्किम में T -72 टैंक भी उतारे गए। चीनियों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था। जानकारी के अनुसार चीनी सेना ने इस हमले के लिए 7 लाख से अधिक सेना को तैनात किया था। पर भारतीय तैयारी को देखकर उन्‍होंने अपने पैर वापस खींच लिए।

चीनियों को भी पता है भारत की स्थिति

भारतीय सेना के साथ हुए इन तीन मुकाबले और उसमें मिले करारे जवाब के कारण ही चीनी सेना भारतीयों से लड़ने में झिझकती है। हालांकि वह समय समय पर 1962 की याद दिलाना नहीं चूकते। पर उन्‍हें इस बात का भी पूरी तरह अंदाजा है कि आज भारत की स्थिति दूसरी है। एक तरफ जहां वो हम भी परमाणु संपन्‍न राष्‍ट्र हैं तो तब और अब की सेना में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। दूसरी तरफ अब भारत के साथ कई सहयोगी राष्‍ट्र भी हैं जो चीन के लिए खतरा बन सकते हैं।

यह भी पढ़ें: ठेले पर ‘गृहस्थी’ लिए घर वापसी, अब भविष्य की चिंता!

यह भी पढ़ें: रोजी-रोटी का सहारा बने ऑटो से घर वापसी

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More