खुले में शौच… बच्चे छीन लेंगे डब्बा!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में जोरशोर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के बावजूद खुले में शौच करने के मामले में भारत के लोग दुनिया में नंबर वन हैं। पीएम के इस पहल को भले ही हम लोग अमल न करें, लेकिन छोटे-छोटे बच्चे स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक छोटे से गांव रायपुर नयाखेड़ा के बच्चों ने स्वच्छता को लेकर एक मिसाल कायम की है। 10 बच्चों के एक ग्रुप ने यह तय किया है कि वे किसी को भी खुले में शौच नहीं करने देंगे। खुले में शौच की कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने एक अनूठा उपाय ढूंढा है।
‘डब्बा डोल गैंग’ का खौफ
खुले में शौच करने के आदी भारत के लोग घर से लोटा या अपना डिब्बा लेकर सुबह-सुबह निकल ही जाते हैं। लेकिन नयाखेड़ा गांव में निकलने से पहले ही ये बच्चे पूरे गांव में सीटी बजा कर सबको बता देते हैं कि खुले में शौच नहीं करना है।
फिर भी अगर कोई इनके गुजारिश को नहीं मानता है तो ये बच्चे उसका पानी का लोटा या डब्बा ही छीन लेते हैं। इसी कारण गांववालों ने इन्हें नाम दिया है, ‘डब्बा डोल गैंग’। इस सामाजिक बेइज्जती ने गांव के काफी लोगों को सुधार दिया है।
मुहिम का विरोध
मुहिम की शुरुआत में ‘डब्बा डोल गैंग’ को विरोध का सामना भी करना पड़ा। इस गैंग के मुखिया प्रदीप मेवाडा के मुताबिक शुरुआत में बच्चों की इस पहल का गांववालों ने विरोध किया। इस मुहिम को बरकरार रखने के लिए बच्चों को काफी संघर्ष करना पड़ा। हालांकि ‘डब्बा डोल गैंग’ को अब पूरे गांव का समर्थन हासिल है।
इसके साथ ही कई संगठन भी इनके पक्ष में खड़े हुए हैं। प्रदीप एक एनजीओ द्वारा आयोजित की गई संगोष्ठी में शामिल हुए थे और वहीं से ये खुले में शौच के खिलाफ जागरूक हुए। इसके बाद इन्होंने गांव के नौ अन्य बच्चों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान के काम पर लग गए।
खुले में शौच के मामले में भारत सबसे आगे
संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2015-16 में खुले में शौच को पूरी तरह खत्म करने को एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा गया है कि ग्रामीण भारत में आज भी 61 प्रतिशत से अधिक लोग खुले में मल त्याग करते हैं, जो विश्व में सर्वाधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनीसेफ के संयुक्त मॉनीटरिंग के 2015 के आंकड़ों के मुताबिक भारत की स्थिति दुनिया में सबसे गरीब माने जाने वाले उप-सहारा देशों से भी बदतर है। इन देशों के ग्रामीण इलाकों में केवल 32 प्रतिशत लोग ही खुले में शौच जाते हैं।
खुले में शौच के मामले में पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से कहीं अधिक बेहतर है। श्रीलंका में यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो गई है, जबकि अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाला बांग्लादेश भी इससे लगभग मुक्ति पा चुका है। पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में 21.4 प्रतिशत, नेपाल में 37.5 प्रतिशत और भूटान में 3.8 प्रतिशत लोग ही खुले में मल त्याग करते हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों में कई परिवारों में शौचालय होने के बावजूद लोग खुले में शौच करते हैं। इससे स्पष्ट है कि खुले में शौच का आर्थिक संपन्नता से कोई लेना-देना नहीं है।