कभी रोटी के लिए तरसता था ये किसान, आज कमाता हैं करोड़ों

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कहावत हैं कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी हैं। इस कहावत को राजस्थान के एक किसान ने सार्थक कर दी हैं। राजस्थान के गांव गुड़ा कुमावतान के खेमाराम ने एक मिसाल कयाम की हैं। खेमाराम ने ओस की बूंदों से सिंचाई करके अब करोड़ों की कमाई कर रहें हैं। एक वक्त था कि खेमाराम एक वक्त की रोटी के लिए भी तरसते थे।

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ऐसी फसल लगाई कि पूरे देश में उसकी चर्चा होने लगी

लेकिन खेमाराम के इस अनोखी पहल ने न सिर्फ गांव में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। आपको बता दें कि इजरायल के रेगिस्तान में खेती ओस की सिंचाई की जाती हैं। इसी तरह खेमाराम ने भी यहीं तरीका खोज निकाला हैं। जि‍स इलाके में बारि‍श का नहीं होती वहां इस कि‍सान ने मेहनत, लगन और वि‍ज्ञान की बलबूते कमाई की ऐसी फसल लगाई कि पूरे देश में उसकी चर्चा होने लगी।

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मौसम को मात देकर फसलें उगाई जाती हैं

हर रोज दूर दराज से लोग यह देखने के लि‍ए आते हैं कि ओस की बूंदों से कैसे सिंचाई होती है। दीवारों पर गेहूं व धान कैसे उगाया जाता है और कैसे मौसम को मात देकर फसलें उगाई जाती हैं। कभी इस किसान का गुजारा बामुश्किल होता था, लेकिन सिर्फ खेती से आज इनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ज्यादा है। दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर दूर राजस्थान के जयपुर जिले में एक गांव है गुड़ा कुमावतान। ये किसान खेमाराम चौधरी का गांव है।

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अब इस क्षेत्र को मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं

खेमाराम ने तकनीकी और अपने ज्ञान का ऐसा तालमेल भिड़ाया कि वो लाखों किसानों के लिए मिसाल बन गए। खेमाराम चौधरी ने इजरायल की तर्ज पर 4 साल पहले संरक्षित खेती (पॉली हाउस) करने की शुरुआत की थी। आज इनके देखादेखी आसपास लगभग 200 पॉली हाउस बन गए हैं, लोग अब इस क्षेत्र को मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं।

पहला पॉली हाउस सरकार की सब्सिडी से लगाया था

किसान खेमाराम चौधरी को सरकार की तरफ से इजरायल जाने का मौका मिला। इजरायल से वापसी के बाद इनके पास कोई जमा पूंजी नहीं थी लेकिन वहां की कृषि की तकनीक को देखकर इन्होंने ठान लिया कि उन तकनीकों को अपने खेत में भी लागू करेंगे। चार हजार वर्गमीटर में इन्होंने पहला पॉली हाउस सरकार की सब्सिडी से लगाया था।

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बैंक का कर्ज चुकता होगा ये कभी नहीं सोचा था

खेमाराम चौधरी के मुताबिक, एक पॉली हाउस लगाने में 33 लाख का खर्चा आया, जिसमें से 9 लाख उन्होंने बैंक से लोन लिया, बाकी सब्सिडी मिल गई। पहली बार खेत में खीरे की बुआई की, जिसमें करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। चार महीने में ही 12 लाख रुपए का खीरा बेचा। खेमाराम के मुताबिक, सिर्फ खीरे की खेती से इतनी जल्दी बैंक का कर्ज चुकता होगा ये कभी नहीं सोचा था।

किसान संरक्षित खेती करके अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं

खेमाराम ने 4 हजार वर्ग मीटर में खेती से शुरुआत की थी,खेमाराम चौधरी राजस्थान के पहले किसान थे जिन्होंने इजरायल के माडल की शुरुआत की थी। आज उनके पास खुद के 7 पॉली हाउस हैं, 2 तालाब हैं, 4 हजार वर्ग मीटर में फैन पैड है, 40 किलोवाट का सोलर पैनल है। आज इन गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में 200 पॉली हाउस बन गए हैं। जिले के किसान संरक्षित खेती करके अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

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