कच्चातिवु द्वीप विवाद: विदेश मंत्री ने कांग्रेस-डीएमके पर साधा निशाना

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श्रीलंका स्थित कच्चातिवु द्वीप को लेकर केन्द्र सरकार और कांग्रेस के बीच वार-पलटवार का क्रम जारी है. इसको लेकर अब विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है. पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि 1974 में भारत और श्रीलंका ने एक समझौता किया जहां उन्होंने एक समुद्री सीमा खींची. समुद्री सीमा खींचने में कच्चतिवु द्वीप की सीमा को श्रीलंका की ओर रखा गया था. कांग्रेस और DMK ने इस मामले को इस तरह से लिया है मानो इस पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है.

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समझौत के तहत दिया गया द्वीप – जयशंकर

जयशंकर ने 1974 में हुए उस समझौते की बात दोहराते हुए कहा कि एक समझौते के तहत तब की दोनों सरकारों के सहमति से यह द्वीप श्रीलंका के अधिकार क्षेत्र में रखी गई. आगे कहा कि हम जानते हैं कि यह किसने किया. यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया. हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई.

20 वर्षों में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने लिया हिरासत में

इस दौरान जयशंकर ने भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिये जाने के मुद्दे को भी उठाया. बताया कि पिछले 20 वर्षों में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है. इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका ने जब्त किया.

तत्कालीन मुख्यमंत्री को दिया 21 बार जवाब

जयशंकर ने कहा कि संसद में कई बार इस मुद्दे को उठाया गया. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं. यह एक जीवंत मुद्दा है जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है.

पीएम मोदी ने भी उठाए थे सवाल

पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और डीएमके को जमकर घेरा. कहा कि बयानबाजी के अलावा, द्रमुक ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया है. कच्चातिवु द्वाप पर उभरते नए विवरणों ने डीएमके के दोहरे मानकों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. कांग्रेस और डीएमके पारिवारिक इकाइयां हैं. वह लोग किसी और की परवाह नहीं करते. उन्हें बस इस बात की फिक्र है कि उनके अपने बेटे और बेटियां बढ़ें. कच्चातीवु द्वाप पर उनकी कठोरता ने हमारे गरीब मछुआरों और विशेष रूप से मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचाया है.

कांग्रेस ने भी दिया जवाब

इस मामले पर पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा, “यह समझौता 1974 और 1976 में हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी आरटीआई में दिए गए हालिया जवाब के आधार पर आरोप लगा रहे हैं. जबकि उन्हें 27 जनवरी 2015 के आरटीआई के जवाब को देखना चाहिए, जब जयशंकर विदेश सचिव थे. उस जवाब में स्पष्ट रूप से कहा गया कि बातचीत के बाद यह द्वीप अंतर्राष्ट्रीय सीमा के श्रीलंकाई हिस्से में है. इंदिरा गांधी ने क्यों स्वीकार किया कि यह श्रीलंका का है ? क्योंकि श्रीलंका में छह लाख तमिल पीड़ित थे और वे भारत आना चाहते थे. इस समझौते के बाद छह लाख तमिल भारत आए और वे अब यहां सभी मानवाधिकारों का आनंद ले रहे हैं.”
वहीं चिदंबरम ने दावा किया कि इस मुद्दे से भाजपा को साउथ इंडिया में कोई भी फायदा नहीं मिलने वाला है. इस मुद्दे से इंडि गठबंधन को फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा को केरल और तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं जीतने वाली है. वहीं साउथ में कांग्रेस अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी.

चीन ने हजार गुना अधिक जमीन पर किया कब्जा

चिदम्बरम ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए पीएम मोदी से पूछा, “आप 50 साल बाद यह मुद्दा क्यों उठा रहे हैं ? आप इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं कि 2-3 साल में क्या हुआ ?” बता दें कि पीएम मोदी ने रविवार को कहा था कि कांग्रेस ने “कच्चातिवु द्वीप को बेदर्दी से श्रीलंका को दे दिया.
चिदंबरम ने कहा कि कच्चातिवु द्वीप का क्षेत्रफल 1.9 वर्ग किमी है. ‘चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय भूमि हड़प ली है. पीएम मोदी ने यह कहकर चीन की आक्रामकता को उचित ठहराया कि ‘भारत की धरती पर कोई चीनी सैनिक नहीं है. चीन ने मोदी के भाषण को दुनिया भर में प्रसारित किया. चीन ने जो ज़मीन हड़पी है वो एक छोटे से द्वीप से भी 1000 गुना बड़ी है.’ कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि “उदार आदान-प्रदान एक बात है, दुर्भावनापूर्ण ज़ब्ती दूसरी बात है.

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