काशी विश्वदनाथ मंदिर करेगा गुरुकुल का संचालन, ऐसे दी जाएगी शिक्षा
varanasi: दुनिया के सबसे पुराने कहे जाने वाले शहर काशी से जल्द ही गुरुकुल का संचालन किया जाएगा. इसका संचालन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा. इसमें आधुनिक और प्राचीन शिक्षा का तालमेल देखने को मिलेगा. इस गुरुकुल में देश भर के छात्र निश्शुल्क अध्ययन कर सकेंगे. गुरुकुल के साथ ही चिकित्सालय जो कि पूरी तरह से आयुर्वेद का केंद्र होगा और साथ ही गोशाला का संचालन भी किया जाएगा.
गुरुकुल में वेदों और शाखाओं का होगा अध्ययन
गुरुकुल में ऋग्वेद और उसकी शाखा शाकल, शांखायन का अध्ययन होगा. यजुर्वेद और उसकी शाखा तैत्तिरीय, मैत्रायणीय, कठ और कपिष्ठल का पाठ कराया और शुक्ल यजुर्वेद और उसकी शाख माध्यन्दिनीय और काण्व का अध्ययन कराया जाएगा. सामवेद और उसकी शाखा कौथुम और जैमिनीय, अथर्ववेद और उसकी शाखा शौनक और पैप्पलाद का भी पठन कर सकेंगे.
इन जगहों पर स्थापित होंगे केंद्र
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास सामाजिक सरोकारों के तहत सेवाओं को विस्तार दे रहा है. इसके तहत गुरुकुल, चिकित्सालय और गोशाला की शुरुआत करने की योजना बनी है. न्यास की अगली बैठक में गुरुकुल के स्थान और संचालन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. विश्वनाथ मंदिर का गुरुकुल चंदौली, मिर्जापुर या सारनाथ में मंदिर की खाली जमीन पर बनेगा. चंदौली के सकलडीहा में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की 42 बीघा जमीन है.
दाखिले की न्यूनतम आयु पांच वर्ष, शास्त्री से आचार्य तक की डिग्री
मंदिर की ओर संचालित होने वाले गुरुकुल में वेदों की सभी शाखाओं का अध्ययन अध्यापन कराया जाएगा. इसमें दाखिले के लिए न्यूनतम आयु पांच वर्ष रहेगी. यज्ञोपवीत के बाद कोई भी बालक दाखिला ले सकेगा. वेद अध्ययन के साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत आधुनिक विषयों का भी अध्ययन कराया जाएगा. इसके लिए गुरुकुल में शिक्षकों की तैनाती होगी और उनके आवास और भोजन की पूरी व्यवस्था गुरुकुल में निश्शुल्क रहेगी. इस गुरुकुल में दाखिला लेने वालों को शास्त्री और आचार्य तक डिग्री प्रदान की जाएगी. प्रो. ब्रजभूषण ओझा, सदस्य, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का कहना है कि चिकित्सालय और गोशाला के संचालन की योजना पर काम कर रहा है. जल्द ही होने वाली न्यास की अगली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
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उपनिषदों की संख्या…
ऋग्वेद- 10 उपनिषद
शुक्ल यजुर्वेद – 19 उपनिषद
कृष्ण यजुर्वेद – 32 उपनिषद
सामवेद – 16 उपनिषद
अथर्ववेद – 31 उपनिषद