वाराणसीः द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में तो हर कोई जानता होगा, लेकिन हम आज बात करेंगे उस मंदिर के बारे में जहां कोई भी शुभ काम करने से पहले महाकाल के शरण में जाना जरूरी होता है.
क्रोधित हो भगवान ब्रह्मा का अलग किया सिर-
एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी के बीच में बहस छिड़ गई कि आखिर उन दोनों में कौन बड़ा है. इसी बीच ब्रह्मा जी के पांचवे मुख ने भगवान शिव की आलोचना कर दी. ये सुनकर शिवजी के क्रोध से काल भैरव जी प्रकट हुए और ब्रह्मा जी का पांचवां सिर धड़ से अलग कर अलग कर दिया. भगवान शिव के इसी क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ.
ब्रह्म हत्या दोष –
इस घटना से काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया. काल भैरव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी का सिर तो काट दिया लेकिन कटा हुआ अंश काल भैरव से अलग ही नहीं हो रहा था. वह इस दोष को मिटाने का उपाय सोचने लगे पर कुछ समझ न आया.
काशी में ही मिलेगी मुक्ति –
काल भैरव को परेशान देख भगवान शिव प्रकट हुए और बोले कि तुम तीनों लोकों का भ्रमण करो जिस स्थान पर ब्रह्मा जी का कटा अंश तुमसे अलग हो, वहीं तुम्हें इस दोष से मुक्ति मिलेगी. कहा जाता है कि काल भैरव के रूप में बनारस में स्वयं भू प्रकट हुए और वहीं काशी के कोतवाल बनकर रहने लगे. उसके बाद से ही काशी का ये स्थान काल भैरव के नाम से विख्यात हो गया.
काशी के कोतवाल की चमत्कारी मान्यताएं –
काशी में जब कोई अधिकारी बनकर आता है तो सबसे पहले वह काल भैरव के शरण में जाता है अपना कार्य यही से शुभारम्भ करता है. वहीं बनारस में जब नरेंद्र मोदी कॉरिडोर बनवाने का फैसला किए थे तो सबसे पहले उन्होंने काल भैरव दर्शन किया था.
बचा जा सकता है इन ग्रह दोषों से-
मान्यता है कि काल भैरव के दर्शन से शनि दण्ड, साढ़े साती और ऐसे ग्रह दोषों से बचा जा सकता है. यहां दण्ड देने का अधिकार भी सिर्फ काल भैरव को ही है. इनकी आज्ञा के बिना यमराज भी किसी के प्राण नहीं ले (हर)सकते. लोग अपनी मान्यताएं पूरी होने पर काल भैरव को मदिरा यानी शराब का भोग लगाते हैं.
कोतवाल शब्द से ही ज्ञात हो रहा है समाज के अपराधियों को दण्ड देना, पुलिस अधिकारी ठीक वैसे ही काल भैरव शिव की नगरी काशी की रक्षा करते हैं.