यूपी के शिक्षा विभाग में BSA की मदद से दी जा रहीं फर्जी नौकरियां

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शिक्षा विभाग में एक बड़ा फ्रॉड
शिक्षा विभाग में एक बड़ा फ्रॉड सामने आया है। मामला शासन की बिना अनुमति के मंडल के तीन जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा 30 लिपिकों की नियुक्त से जुड़ा है। यही नहीं इन लिपिकों को बाकायदा वेतन भी जारी हो रहा है।

मामले की जानकारी होते ही अफसरों में हड़कम्प मच गया है। आनन-फानन में फर्जी तरीके से नियुक्त बाबूओं का वेतन रोका दिया गया है। इसके अलावा अपर निदेशक, इलाहाबाद ने एडी बेसिक से रिपोर्ट तलब कर ली है। माना जा रहा है कि जल्द ही इन बाबूओं पर गाज गिर सकती है। वहीं बताया जा रहा है कि इनका एक बड़ा रैकेट है जिसने बिना शासन की अनुमति के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भी भर्तियां की हैं।
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6 नवम्बर 2015 को शासनादेश की अनदेखी कर बिना शासन की मंजूरी के ही आजमगढ़ मंडल के आजमगढ़, मऊ और बलिया में 30 लिपिकों की भर्ती कर दी गयी। आजमगढ़ में उस समय बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर राकेश कुमार तैनात थे। इस समय वह जिला विद्यालय निरीक्षक उन्‍नाव के पद पर हैं। बताया जा रहा है इन नियुक्तियों में आशुलिपिक रामबचन यादव भी शामिल हैं।
वहीं बलिया में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह व वरिष्ठ लिपिक वीरेन्द्र कुमार सिंह ने लिपिकों की नियुक्ति की थी। इस समय बीएसए राकेश कुमार सिंह गाजीपुर जिले के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सैदपुर में वरिष्ठ प्रवक्ता हैं। इसी प्रकार मऊ जनपद में हुई नियुक्तियों में लिपिकों की नियुक्तियां की गयी हैं।
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वहीं आजमगढ़ के मंडलायुक्त के. रविन्द्र नायक ने बताया कि लिपिकों के अलावा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बिना शासन की अनुमति से भर्तीयां की गयी हैं। मामले की जांच की जा रही है। अगर दोषी पाये गये तो वेतन की रिकवरी के साथ ही सभी पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
(साभार-इनाडु इंडिया हिन्दी)

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