उद्योगपतियों के किसी भी कर्ज को माफ नहीं किया: अरुण
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को उन अफवाहों को खारिज किया कि बैंक उद्योगपतियों के कर्जों को बट्टे खाते में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी बड़े डिफॉल्टर का कर्ज माफ नहीं किया है। जेटली ने एक ब्लॉग में लिखा कि पिछले कुछ दिनों से एक अफवाह उड़ाई जा रही है कि उद्योगपतियों के कर्ज को माफ किया जा रहा है।
अदायगी में देरी की तो तब की सरकार ने क्या कदम उठाए
उन्होंने लिखा है कि अब वक्त आ गया है कि देश को इस बारे में तथ्यों का पता लचने। उन्होंने कहा कि यह पूछा जाना चाहिए कि 2008 से 2014 के बीच किसके कहने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कर्ज बांटे गए थे जो आज एनपीए में बदल चुके हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘लोगों को इन अफवाहबाजों से पूछने की जरूरत है कि किसके कहने पर या किसके दबाव पर इस तरह के ऋण दिए गए। उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि जब इन कर्ज लेनेवालों ने अपने कर्ज और ब्याज की अदायगी में देरी की तो तब की सरकार ने क्या कदम उठाए।’
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जेटली ने लिखा कि कर्ज लेनेवालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के बजाय सरकार ने उन्हें राहत दी और डिफॉल्टर्स को नॉन-एनपीए अकाउंट होल्डर्स के तौर पर वर्गीकृत किया। उन्होंने कहा कि बैलेंसशीट को साफ-सुथरा करने के लिए 2015 में ऐसेट क्वॉलिटी रिव्यू (AQR) किया गया जिसमें बड़ी तादाद में एनपीए का खुलासा हुआ। जेटली ने लिखा है कि AQR से पता चला कि करीब 4 लाख 54 हजार 466 करोड़ रुपये के कर्ज एनपीए की श्रेणी में रखे जाने चाहिए थे।
एनपीए की रिकवरी के मामले अलग-अलग चरण में हैं
जेटली ने कहा कि सरकार ने बड़े एनपीए डिफॉल्टर्स के किसी भी कर्ज को माफ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि नए इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड के तहत 12 सबसे बड़े डिफॉल्टर्स से समयबद्ध रिकवरी की कार्यवाही शुरू की गई है। इन 12 डिफॉल्टर्स का कुल एनपीए 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये हैं। जेटली ने कहा कि बड़े डिफॉल्टरों के एनपीए की रिकवरी के मामले अलग-अलग चरण में हैं।
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वित्त मंत्री ने आगे कहा कि रोजगार सृजन के उद्देश्य से सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी लगाने का ‘बड़ा फैसला’ लिया है। इसके तहत मौजूदा साल में अधिकतम आवंटन के जरिए 2 वित्तीय वर्षों के भीतर 2.11 लाख करोड़ की पूंजी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा एनपीए की वजह से कमजोर हुए बैंकों को इस पूंजी से ताकत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस पूंजी को पाने के लिए बैंकों को कई तरह के सुधार करने होंगे ताकि भविष्य में एनपीए जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े। जेटली ने कहा कि सरकार को विरासत में बड़ी समस्याएं मिली थीं लेकिन सरकार ने पिछले 3 सालों में कई कड़े कदम उठाए हैं।
(साभार- एनबीटी)