लोकसभा चुनाव से पहले सभी विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में लगी है. इसी क्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जाति जनगणना के बाद आर्थिक जनगणना के आंकड़े पेश है. इससे देश भर में भाजपा बैकफुट पर नजर आने लगी है. वहीँ अब नीतीश के इस फैसले को विपक्ष देशभर में इसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. विपक्ष को लगता है कि जाति जनगणना से OBC का आंकड़ा उसके लिए उम्मीद की किरण हो सकता है. बिहार में जनगणना के बाद पिछड़ा और अति पिछड़े की आबादी 63 फ़ीसदी पाई गयी है. इसी तरह यूपी, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पिछड़ों की आबादी लगभग 60 फीसद है. विपक्ष को लगता है कि जाति जनगणना से वह 60 फ़ीसदी आबादी को एकमुश्त अपने पाले में कर लेगा.
चुपचाप इसकी काट करने में लगी है भाजपा
जाति जनगणना विपक्ष की वजह और उम्मीदें है लेकिन भाजपा चुपचाप इसकी काट करने में लगी है. बता दें कि भाजपा की सबसे बड़ी काट है सितम्बर में लांच की गई विश्वकर्मा योजना. सरकार इस योजना के माध्यम से 18 पेशेवर कार्यों में जुटे कारीगरों को साधने में लगी है. इस योजना के तहत वे योजना आती है जो परंपरागत पेशे से जुडी रही है. इनमें दर्जी, लोहार, बढ़ाई, सुनार, कहार, नाई, नाविक, मल्लाह समेत कई जातियां शामिल हैं.
शिक्षक की फर्जी फेसबुक और इंस्टा आईडी बनाकर ठगी, ऐसे हुआ खुलासा….
1- 3 लाख तक का लोन कारीगरों को कराया जा रहा उपलब्ध
अगर कुल मिलकर इन जातियों की बात करें तो यह सब यूपी, बिहार के अलावा हर राज्यों में पाई जाती है. यह कुल मिलाकर 15- 20 फीसद हो जाती है. यह देश में एक बड़ा आंकड़ा है. सरकार इस योजना के तहत सभी कारीगरों को 1- 3 लाख तक का लोन उपलब्ध करा रही है. खास बात यह है कि इस स्कीम के तहत 5 फीसद सालाना ब्याज पर लोन दिया जा रहा है. यह एक तरह से किसान क्रेडिट कार्ड की तरह है. माना जा रहा है कि ऐसे में भाजपा को एक बड़े समूह को लोकसभा चुनाव में बड़े वोट बैंक को गोलबंदी करने में मदद मिलेगी. वहीँ कुछ रणनीतिकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार रोहिणी कमीशन का भी दांव चल सकती है.