क्या केंद्र के इशारे पर हुई बाहुबली धनंजय सिंह की गिरफ्तारी !

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जौनपुर के अंदर पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह की क्या हैसियत है और वो कितना रसूख रखते है, इसे बताने की जरूरत नहीं हैं। पिछले 2 दशकों से धनंजय सिंह कभी आपराधिक गतिविधियों के चलते तो कभी राजनीतिक वजहों से चर्चा में रहे हैं।

सत्ता किसी भी पार्टी की रही हो, धनंजय सिंह का रुतबा कम नहीं हुआ। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या और यूपी में योगी सरकार के आने के बाद से तो धनंजय सिंह के सितारे बुलंदी पर थे। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश सरकार ने उनके ऊपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया ? क्या सिर्फ जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर की शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार किया गया ? या इसके पीछे कुछ और वजह भी है ?

केंद्र के अधिकारियों तक पहुंची थी धनंजय सिंह की शिकायत !

सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय के दखल के बाद जौनपुर पुलिस ने रातो रात धनंजय सिंह को गिरफ्तार किया। धनंजय सिंह को इस बात का कतई आभास नहीं था कि जिस प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल को वो धमकी दे रहे हैं। उसे लेकर उन्हें इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

जौनपुर के अंदर अभिनव सिंघल केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे को लीड कर रहे थे। इस बीच जैसे ही धनंजय सिंह और उनके गुर्गों ने अभिनव सिंघम पर हाथ डाला तो जौनपुर से लेकर दिल्ली तक हड़कम्प मच गया।

मामला चूंकि नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़ा था, लिहाज केंद्र सरकार के अफसरों ने मामले का संज्ञान लेना शुरू कर दिया। इसके बाद लखनऊ तक शिकायत पहुंची तो योगी सरकार ने भी सख्ती के निर्देश दिए। बताया जा रहा है इस काम में बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं ने भी केंद्र तक फीडबैक पहुंचाया।

बीजेपी को कोस रहे हैं धनंजय सिंह के समर्थक

अपने दो दशक के राजनीति कैरियर में धनंजय सिंह बहुजन समाज पार्टी के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और निषाद पार्टी में शामिल रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी से नजदीकियां बढ़ाने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। इस बीच वो ऊनी तीसरी पत्नी श्रीकला रेड्डी को बीजेपी में शामिल कराने में कामयाब रहे।

हैदराबाद में जेपी नड्डा की मौजूदगी में उनकी पत्नी ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। इसके बाद से धनंजय सिंह के समर्थक बीजेपी का गुणगान करते नहीं थकते थे। लेकिन धनंजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद समर्थकों के सुर बदल गए हैं। खुद धनंजय सिंह ने अपनी गिरफ्तारी के लिए बीजेपी के मंत्री गिरीश यादव को जिम्मेदार बताया।

मुन्ना बजरंगी की हत्या का क्रेडिट लेने की होड़

धनंजय सिंह पिछले कुछ दो सालों से बीजेपी सरकार के करीब आने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। काफी हद तक इसमें ये कामयाब भी रहे। प्रदेश सरकार धनंजय सिंह के लिए कवच का काम करने लगी थी। मुन्ना बजरंगी हत्याकांड को ही लेते हैं। यकीनी तौर पर जिस तरह जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई, वो प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्न चिन्ह था, लेकिन इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली।

आलम ये था कि मुन्ना बजरंगी की हत्या की क्रेडिट लेने की होड़ लग गई थी। कुछ लोगों ने तो अपने नाम को मीडिया में छलवाना भी शुरू कर दिया। कोशिश यही थी कि मुन्ना बजरंगी की हत्या का क्रेडिट लेकर योगी सरकार के नजदीक आना।

धनंजय पर मेहरबान दिखी स्थानीय पुलिस

योगी सरकार भले ही धनंजय सिंह पर सख्त हो, लेकिन स्थानीय पुलिस उनपर मेहरबान दिखी। गिरफ्तारी के बाद पुलिस थाने से कोर्ट जाते वक्त धनंजय सिंह की ठसक देखने को मिली।

उनके आगे पुलिस इस कदर नतमस्तक थी कि धनंजय सिंह सीओ की गाड़ी में आगे की सीट पर बैठकर जाते हुए दिखे। यही नहीं जेल में भी उनके साथ वीआईपी ट्रीटमेंट किया जा रहा है। जेल के दरवाजे उनके संरथकों के लिए हर वक्त खुले हैं।

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