भारत की चीन को चेतावनी, सीमा पर यथास्थिति में बदलाव न करे कोशिश
चीन में भारतीय राजदूत गौतम बंबावले ने साफ-साफ कहा है कि बीजिंग ने अगर भारतीय सीमा पर यथास्थिति में बदलाव करने की फिर कोई कोशिश की तो उसका परिणाम भी डोकलाम की तनातनी जैसा ही होगा। चीन सेना ने डोकलाम में यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश की थी इसीलिए भारत को प्रतिक्रिया व्यक्त करनी पड़ी थी।
इंटरव्यू में बोले भारत के राजदूत बंबावले
हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट’ को दिए एक साक्षात्कार में बंबावले ने कहा कि भारत और चीन के बीच अचिह्नित सीमा दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर मसला है। लिहाजा दोनों ही देशों को सीमाओं का जल्द से जल्द निर्धारण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्र और कुछ सेक्टर (भारत-चीन सीमा पर) ऐसे हैं जो बेहद संवेदनशील हैं और शांति व स्थायित्व बनाए रखने के लिए वहां यथास्थिति में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
Also read : SP विधायक को वोट बेचने के लिए BJP की तरफ से मिला था 10 करोड़ का ऑफर
भारतीय राजदूत ने कहा कि डोकलाम जैसी घटनाओं से बचने का सबसे सही तरीका स्पष्ट और खरी-खरी बातचीत है। जब डोकलाम जैसी घटनाएं होती हैं तो इसका मतलब है कि आपसी बातचीत में हम एक दूसरे के साथ स्पष्टवादी नहीं हैं।
इसलिए दोनों देशों को साफ-साफ बात करने का स्तर बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा, ‘अगर चीन की सेना को वहां सड़क बनानी थी तो उन्हें हमें बताना चाहिए था कि वे वहां सड़क बनाने जा रहे हैं। अगर हम सहमत नहीं होते तो हम उन्हें बताते कि आप यथास्थिति में बदलाव कर रहे हैं। कृपया ऐसा न करें क्योंकि यह बेहद संवेदनशील क्षेत्र है।’
डोकलाम क्षेत्र में जारी है निर्माण कार्य
यह पूछे जाने पर कि डोकलाम क्षेत्र में चीनी सेना लगातार निर्माण कार्य कर रही है, इस पर बंबावले ने कहा, ‘वे संवेदनशील क्षेत्र के पीछे निर्माण कर रहे हैं। ये काम करने के लिए आप स्वतंत्र और हम भी आजाद हैं क्योंकि आप अपने क्षेत्र में कर रहे हो और हम अपने क्षेत्र में।’
भारत के पड़ोसियों ने चीन की नजदीकियां
बंबावले ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ नजदीकी संबंध बनाने के चीन के प्रयासों से भारत चिंतित नहीं है क्योंकि इन दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध बेहद मजबूत हैं। साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले महीनों और वर्षो में ये संबंध और मजबूत होंगे। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि ये देश चीन समेत किसी भी देश के साथ संबंध रखने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
Also read : मोहम्मद शमी का एक्सीडेंट, सिर में लगी गंभीर चोट
जारी रहेगा सीपीईसी का विरोध
बंबावले ने कहा कि ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर’ (सीपीईसी) का भारत विरोध करता रहेगा, लेकिन ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ पर मतभेदों को वह चीन के साथ विवाद का रूप नहीं लेने देगा। अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ ब्लॉक में भारत के शामिल होने संबंधी खबरों पर बंबावले ने ज्यादा बात नहीं की।
द्विपक्षीय बातचीत के आसार
गौतम बंबावले ने बताया कि 9-10 जून को होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। इस दौरान उनकी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी अवश्य होगी।
दैनिक जागरण