भारत, स्पेन : आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ
भारत तथा स्पेन ने बुधवार को आतंकवाद को अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा स्थिरता के लिए गंभीर खतरा करार दिया और इसके खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर सहमति जताई। दोनों देशों ने यूरोपीय संघ-भार ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट (बीआईटीए) के लिए वार्ता पुन: शुरू करने की जरूरत बताई।
ला मोनक्लोआ में स्पेन के अपने समकक्ष मारियानो राजोय के साथ वार्ता से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाददाताओं से कहा, “भारत तथा स्पेन दोनों देशों ने आतंकवाद का दंश झेला है।” ला मोनक्लोआ स्पेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास है।
मोदी ने कहा, “आज की तारीख में आतंकवाद तथा अतिवाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है।” उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे बीच सहयोग को मजबूत करना हमारे द्विपक्षीय एजेंडे का मूल तत्व है।”
दोनों नेताओं के बीच वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति व स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और आतंकवाद के सभी रूपों व अभिव्यक्तियों से निपटने की प्रतिबद्धता जताई।
बयान के मुताबिक, “उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और आतंकवाद के किसी भी कृत्य को किसी भी तरीके से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।” बयान में कहा गया है, “हम इस बात को दोहराते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के ठोस सहयोग की जरूरत है और हम सभी राष्ट्रों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 को लागू करने की मांग करेंगे।”
बयान के मुताबिक, मोदी तथा राजोय ने नियमित द्विपक्षीय वार्ता तथा सहयोग के माध्यम से आतंकवाद से निपटने को लेकर सहयोग को दृढ़ करने के लिए कड़ी प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से निपटने में पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण को खत्म करने का आह्वान किया और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा को भारत द्वारा शुरू किए गए कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म को अंतिम रूप देने तथा उसे स्वीकार करने की संयुक्त मांग की।
मोदी तथा राजोय ने यूरोपीय संघ-भारत के संबंधों की महत्ता तथा मौजूदा यूरोपीय संघ-भारत वार्ता को गहरा करने की जरूरत को रेखांकित किया। बयान के मुताबिक, “दोनों नेताओं ने मार्च 2016 में आयोजित 2016 ईयू-भारत सम्मिट के सकारात्मक नतीजों को स्वीकार किया।”
बीआईटीए 16 दौर की वार्ता के बाद भी बीते 11 वर्षो से लटका हुआ है। साल 2012 में यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों ने यूरोपीय आयोग को निवेश संरक्षण समझौते की जिम्मेदारी सौंपी है।
वहीं, राजोय ने भारत के तेज आर्थिक विकास, भारत सरकार द्वारा व्यापार करने के लिए विभिन्न उपाय व सहूलियत प्रदान करने तथा विनिर्माण बढ़ोतरी को बढ़ावा देने के लिए मोदी को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने स्पेन के व्यापार व उद्योग जगत के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ गोलमेज वार्ता की और भारत की महत्वाकांक्षी विकास परियोजनाओं में हिस्सा लेने का आमंत्रण दिया।
Also read : जेटली : नोटबंदी के 3 विशेष फायदे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पैलेसियो डी ला जारजुएला में स्पेन के राजा फिलिप छठे से मुलाकात की। यूरोप के चार देशों की यात्रा के दूसरे पड़ाव में मोदी मंगलवार को जर्मनी से स्पेन पहुंचे। इसके बाद वह रूस तथा फ्रांस के दौरे पर जाएंगे।
लगभग 30 वर्षो के दौरान भारत के प्रधानमंत्री का यह पहला स्पेन दौरा है। इससे पहले राजीव गांधी ने सन् 1988 में स्पेन की यात्रा की थी। मोदी तथा राजोय ने इससे पहले नवंबर 2015 में तुर्की में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)