नई दिल्लीः भारत अमेरिका से आयात होने वाले कुछ महंगे उत्पादों पर टैरिफ में कटौती कर सकता है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के दौरान इस संबंध में घोषणा कर सकती हैं. संभावित रूप से स्टील, महंगी मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे उत्पादों पर टैक्स घटाया जा सकता है.
उच्च टैरिफ वाले 20 अमेरिकी उत्पाद
भारत अमेरिका से 20 ऐसे उत्पाद आयात करता है, जिन पर 100% से अधिक टैरिफ लगाया जाता है. इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनावी दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम के दौरान भारत, चीन और ब्राजील पर उच्च टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी.
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भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध
अमेरिका भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है. वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच 118 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ, जिसमें भारत को 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) रहा.
ट्रंप की चेतावनी – अमेरिका फर्स्ट
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि हम उन देशों और बाहरी ताकतों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं, जो अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं. देखिए, चीन क्या कर रहा है, भारत और ब्राजील भी यही कर रहे हैं. हम अब इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे.
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टैरिफ: वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करने का माध्यम
टैरिफ किसी देश द्वारा दूसरे देशों से आयातित उत्पादों पर लगाया जाने वाला कर हैं. यह घरेलू उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने और व्यापार संतुलन सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
सभी देश विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ बाउंड रेट तय करते हैं, ताकि कोई भी देश मनमाने तरीके से अत्यधिक टैरिफ न लगा सके.
ट्रंप की 100% टैरिफ की धमकी और BRICS
ट्रंप ने BRICS देशों (भारत, ब्राजील, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका) पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. उनका कहना था कि अमेरिका चाहता है कि ये देश अमेरिकी डॉलर में ही व्यापार करें और अपनी अलग करेंसी न बनाएं. अगर BRICS ऐसा नहीं करते, तो अमेरिका उनके निर्यात पर 100% टैरिफ लगा सकता है.
भारत अमेरिका के साथ 17% से अधिक विदेशी व्यापार करता है. अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों, फलों, सब्जियों और चावल का सबसे बड़ा खरीदार है. 2024 में अमेरिका ने भारत से 18 मिलियन टन चावल आयात किया.
अगर अमेरिका 100% टैरिफ लागू करता है, तो भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग में गिरावट आ सकती है.