भारत ने दिया ‘जियो और जीने दो’ का सच्चा लोकतंत्र : सीएम योगी
सूबे की मुखिया योगी आदित्यनाथ आज रविवार को गोरखपुर की दौरे पर हैं. यहां उन्होंने कहा कि दुनिया में जब सभ्यता, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आग्रह नहीं था, तब भारत मे सभ्यता, संस्कृति और मानवीय जीवन मूल्य चरम पर थे. भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लेकर अर्वाचीन काल तक लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है. इसका उद्देश्य किसी का हरण करना या किसी पर जबरन शासन करना नहीं था, बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है. हमारी ऋषि परंपरा जियो और जीने दो की रही है. क्योंकि यही सच्चा लोकतंत्र है और इस मूल्यपरक लोकतंत्र को किसी और ने नहीं बल्कि भारत ने दिया है.
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पहले दिन ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे. सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र के मामले में वैदिक कालखंड से लेकर रामायणकालीन और महाभारतकालीन अनेक उद्धरण देखने को मिलते हैं.
भारत के लोकतंत्र में प्राचीन समय से लेकर आज तक जनता की आवाज और जनता के हित को ही सर्वोपरि रखा गया है. भारतीय सभ्यता में हमेशा ही यह कह गया है कि प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व है. द्वारिका में जब अंतर्द्वंद्व प्रारंभ हुआ तब इस परिषद के सदस्य आपस में लड़कर मर-मिट गए. उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने परिषद के सदस्यों की दुर्गति पर कहा था कि राज्य के नियम प्रत्येक नागरिक पर समान रूप से लागू होते हैं.
लोकतंत्र में जनता का हित ही सर्वोच्च
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कुछ लोगों पर गुलामी की मानसिकता आज भी हावी है. जबकि भारत में लोकतंत्र की जड़ें प्राचीन समय से ही गहरी रही हैं. उन्होंने बताया कि भारत तब गुलाम हुआ जब लोकतंत्र की विरासत को संजोने में चूक हुई. प्राचीन काल में देखें तो वैशाली गणराज्य इसका एक उदाहरण है जहां पूरी व्यवस्था जनता के हितों के लिए समर्पित थी.
भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही चल रहा लोकतंत्र : हरिवंश नारायण
सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि लोकतंत्र के संस्कार पांच हजार वर्ष पुराने भारतीय मूल्यों से गढ़े गए हैं. सही मायने में भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही लोकतंत्र चल रहा है.हरिवंश नारायण ने कहा कि खुलकर अपनी बात रखना ही लोकतंत्र का यथार्थ है और यह मूल्य भारत की हजारों वर्षों की परंपरा में निहित रहे. भारतीय लोकतंत्र में जनता को हर प्रकार की आजादी के साथ खामी को भी ठीक करने की गुंजाइश है.
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उन्होंने कहा कि अंग्रेजी मूल्यों से प्रभावित लोगों ने ही भारतीय लोकतंत्र को आयातित समझने की भूल की है. कहा कि आज भारत अपने को लोकतंत्र की जननी के वास्तविक नजरिये से दुनिया के सामने पेश कर रहा है. पहले इस विषय पर चर्चा नहीं होती थी. आज भारत ने जी-20 सम्मेलन के माध्यम से इस पर बात की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भारतीय लोकतंत्र को लेकर महत्वपूर्ण विमर्श को ऐसे आयोजनों से आगे बढ़ा रहे हैं.
भारत में रही है त्याग और नैतिकता की परंपरा
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि भारत में वेद, पुराण, उपनिषद और ऋषियों की परंपरा के मूल्य थे. हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में धर्म मार्गदर्शक की भूमिका में था, इसलिए हमारे यहां आतताई शासकों का वर्णन नहीं मिलता है. भारत मे त्याग और नैतिकता की परंपरा रही है. इसीलिए राजा सर्वशक्तिमान होकर भी स्वेच्छाचारी नहीं था. चक्रवर्ती सम्राट को भी धर्मदंड से चेतावनी दी जाती थी.
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इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, अयोध्या से आए महंत सुरेश दास, कटक से आए महंत शिवनाथ, काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, मिथिलेशनाथ, राममिलन दास, कर्नाटक से आए भयंकरनाथ, अहमदाबाद से आए कमलनाथ, रविंद्रदास आदि भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.