योगी जी, इन पुलिसकर्मियों का भी ख्याल कीजिए…
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को इलाहाबाद जिले की पुलिस लाइन पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां रहने वाले पुलिस कर्मियों का तपती गर्मी में बुरा हाल है। पुलिस लाइन में बने बैरकों में शौचालय जाने तक की व्यवस्था नहीं। सुबह के वक्त सिपाहियों को शौचालय के लिए दूसरे बैरक में नंबर लगाना पड़ता है। आलम ये है कि सिपाहियों को कबाड़ रूम में रहना पड़ रहा है।
एक बैरक में 150-200 सिपाही
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद की पुलिस लाइन में सिपाहियों के रहने के लिए फाइबर बैरक के अलावा तीन अलग-अलग बैरक बने हुए हैं। हर बैरक में 150 से 200 सिपाही हैं। मार्डन कंट्रोल रूम के पास बने आरटीसी बैरक का हाल सबसे बुरा है। बैरक की पड़ताल में पता चला है कि सिपाहियों को सबसे ज्यादा परेशानी शौचालय जाने में ही होती है। कहने के लिए छह शौचालय बने हैं लेकिन महीनों से खराब पड़े हैं और दो शौचालय में हर वक्त ताला बंद रहता है।
विभाग और प्रशासन की अनदेखी का दर्द सह रहे एक सिपाही
विभाग और प्रशासन की अनदेखी का दर्द सह रहे एक सिपाही ने बताया कि सुबह उठकर शौचालय जाने लिए दूसरी बैरकों में नंबर लगाना पड़ता है। उसने बताया कि काफी समय से शौचालय खराब है लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। हर बैरक तख्तों से भरा पड़ा है। यही नहीं, गैलरी में भी रहने की जगह नहीं हैं, सिपाही वहां भी तख्त डालकर लेटे रहते हैं।
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खरीद कर लाएं हैं अपना टेबल फैन
रिपोर्ट के मुताबिक, कई सिपाही खुद ही टेबल फैन खरीद कर लगाए हैं और उसी के सहारे रात कटती है। एक सिपाही ने बताया कि जब नाइट ड्यूटी रहती है तो समस्या बड़ी हो जाती है। रात में ड्यूटी कर सुबह लौटने पर दिन में तपती गर्मी में सोना मुश्किल हो जाता है।
मेस में भरा है कबाड़
इसी तरह एक सिपाही पुराने मेस के अंदर सोता हुआ मिला। पूछताछ में पता चला कि मेस बंद होने के बाद उसमें कबाड़ भर दिया गया है। कुर्सी-मेज से कमरे का एक हिस्सा भरा था। उसी रूम में छह तख्त डालकर सिपाही रह रहे हैं। खुद ही अपने पैसे से पंखा खरीदकर लगाए थे।
एक जगह कूलर भी लगा था जिसे किसी सिपाही ने ही लगवाया था। सिपाहियों का कहना था कि बाहर एक कमरे का किराया भी बहुत ज्यादा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि पुलिस के नाम पर कोई किराये पर कमरा देता भी नहीं देता है। ऐसे में उनके पास यहां रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।