बांग्लादेश का कोलकाता पर असर, टूट गई बाजार की कमर
बांग्लादेश का इंडिया के साथ पीपल टू पीपल लिंक है. भारत बांग्लादेश के साथ अपना सबसे बड़ा लैन्ड बॉर्डर शेयर करता है, जिसकी वजह से बांग्लादेश में उड़ने वाली धूल का झोंका भी भारत तक आ सकता है. ऐसा ही कुछ बांग्लादेश मे सरकार गिरने के बाद हुआ जिसका सीधा असर कोलकाता की मार्केट में देखने को मिला. बांगलादेश बॉर्डर से सबसे नज़दीक है कोलकाता. अंग्रेजों के समय मे इंडिया का कैपिटल फिर इतिहास और नई तकनीक को साथ लेकर चलने वाला इंडिया का सबसे प्रमुख शहर कोलकाता बांग्लादेश से आने वाले लोगों की आम पसंद है.
कोलकाता: परंपराओं और आधुनिकता का संगम
मॉडर्न कल्चर और इंडियन ट्रेडिशन के फ्यूज़न की वजह से कोलकाता को “The City of Joy” कहाँ जाता है. यहाँ पर गरीब से गरीब आदमी भी इन्जॉय कर सकता है और अमीर से अमीर आदमी के पास भी खुश रहने के उपाय है. और यही कारण है जिसकी वजह कोलकाता में एक ही नदी की धार पर स्थितः है ब्रिटिश काल में बना हावड़ा ब्रिज और उसी नदी में एक तरफ जीवन की तेज रफ्तार देने वाला विद्यासागर सेतु. कोलकाता ने अपने ट्रेडिशन और कल्चर को कभी डाईल्यूट नहीं होने दिया जिसकी वजह से आज भी कोलकाता मे अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए दारोहर भी है और नई इमारतें भी है.
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सुनी पड़ी है कोलकाता की मार्क्विस स्ट्रीट
लेकिन बीते एक महीने से कोलकाता की मार्क्विस स्ट्रीट और फ्रीस्कूल स्ट्रीट पर हलचल कम हो चूँकि है. दुकानदार अपनी दुकानों के गेट पर कस्टमर के आने की आस लगाए बैठे है. सूत्र बताते है कि बांग्लादेश से सबसे ज्यादा आने वाले लोग या तो शॉपिंग के लिए आते है या फिर मेडिकल पर्पस के लिए. ऐसे मे कोलकाता के कुछ मार्केट सिर्फ बांग्लादेशी टुरिस्ट के लिए समर्पित हो चुके है. लेकिन बांग्लादेश मे हुए सरकारी तख्तापलट का सबसे सीधा असर कोलकाता की इन स्ट्रीट पर देखने को मिला है.
मार्क्विस स्ट्रीट पर होटल और रेस्टोरेंट चलाने वाले जाकिर का भी कुछ यही कहना है. जब से पड़ोसी देश में तनाव का माहौल शुरू हुआ है तब से इनके रेस्टोरेंट मे आने वाले कस्टमर में 90 पर्सेन्ट की कमी आई है.
रेस्टोरेंट में कस्टमर नहीं, खाना हो रहा है बर्बाद
अभी बिज़नस बहुत कम हो गया है. अब कस्टमर बहुत कम हो गए है. 90 पर्सेन्ट कस्टमर कम हो चुके है. मार्केट में कोई आदमी नहीं है, पहले लोग थे लेकिन अब कोई भी नहीं है. सभी होटल और रेस्टोरेंट का यही हाल है.
-जाकिर हुसैन (रेस्टोरेंट व्यवसाई)
सुबह से खाने की तैयारी मे लगे जाकिर के कारीगर इस बात से निराश है कि उनकी मेहनत खराब हो जा रही है. रेस्टोरेंट में पसरा हुआ सन्नाटा जाकिर के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है.
कोलकाता की मार्क्विस स्ट्रीट है बांग्लादेशियों का बेस: शहनवाज़
शहनवाज़ अहमद एक ट्रैवल एजेंट और कोलकाता के मार्क्विस स्ट्रीट से बहुत अच्छी तरह से रूबरू है. टुरिस्ट वीज़ा बंद होने की वजह से इनका बिज़नस भी बहुत बुरी स्थिति में है.
कोलकाता में Marquis Street बांग्लादेशियों का बेस है. यह इलाका सिर्फ बांग्लादेशी लोगों के लिए ही है. यहाँ पर अभी लोग सिर्फ मेडिकल वीज़ा से ही आ रहे है. बांग्लादेश में अब टुरिस्ट वीज़ा बंद हो गया है. पहले से 80 पर्सेन्ट आने वाले लोगों में कमी आ गई है. पूरा रास्ता खाली है, होटल खाली है क्यूंकी आने वाले लोगों में बहुत कमी आ गई है.
-शहनवाज़ अहमद (ट्रैवल एजेंट)
कोलकाता का साड़ी कारोबार पड़ चुका है ठंडा
कोलकाता में बुनी हुई ढकई और जमुई साड़ी बांग्लादेश में बहुत फेमस है. आनंद जोकि कोलकाता में साड़ी का काम करते है, उनकी अपने बिज़नस से यह शिकायत है कि अब उनके यहाँ साड़ियाँ बनके रखी हुई है लेकिन उसके खरीदार नहीं है. ऐसे में अब उन्हे अपने कारीगार को पैसे देने में भी सोचना पड़ रहा है.
मेरा साड़ी का कारोबार है. यह जो घटना बांग्लादेश में हुई है इसकी वजह से हमलोग का सारा काम बंद पड़ा है. कोलकाता बांग्लादेश से सटा हुआ है तो वहाँ से बहुत सारे लोग साड़ी खरीदने आते थे. कुछ रीटेल के लिए आते थे और कुछ बिजनस के लिए ही साड़ी खरीदने आते थे. शेख हसीना के जाने से पहले ही करीब 2-2.5 महीने से लोगों का आना जाना बहुत कम हो गया था. दुर्गा पूजा के समय बांग्लादेश से बहुत सारे व्यापारी आया करते थे समान खरीदने. हमलोग पहले WhatsApp से लोगों को फोटो भेजकर उनका ऑर्डर ले लेते थे लेकिन वहाँ पर नेट की सुविधाएं बंद होने से हमलोगों को बहुत दिक्कत हो रही है.
-आनंद पांडे (साड़ी कारोबारी)
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बांग्लादेश से सिर्फ लोग मेडिकल वीज़ा पर ही भारत आ रहे है. टुरिस्ट के नहीं आने की वजह से कोलकाता की मार्क्विस स्ट्रीट के होटल, और रेस्टोरेंट में सन्नाटा साफ दिखाई दे रहा है.