आईआईटी (BHU) ने चिन्नस्वामी सुब्रमणियम भारती की जयंती पर मनाया ‘भारतीय भाषा उत्सव’
वाराणसीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान IIT (BHU) ने प्रसिद्ध तमिल कवि, स्वतंत्रता सेनानी और विचारक चिन्नस्वामी सुब्रमणियम भारती की जयंती पर गुरुवार को ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन किया. यह कार्यक्रम ABLT-1, IIT (BHU) में आयोजित किया गया, जिसमें भारती के भारतीय भाषा, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद किया गया.
यह आयोजन भारतीय भाषाओं और साहित्य की समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई प्रेरणादायक वार्ता, सांस्कृतिक प्रदर्शन और चर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. वी. रामनाथन, सहायक प्रोफेसर, IIT (BHU) ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए की.
भारतीय भाषाओं में भारती के योगदान पर किया विचार
इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई विचारोत्तेजक वार्ता शामिल थी. प्रोफेसर हेमा लता, फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख ने भारतीय भाषाओं में भारती के योगदान पर विचार साझा किए और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके कार्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया. डॉ. ई. सरवन कुमार, रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर ने भारती के साहित्यिक कार्यों के आधुनिक विचार और विज्ञान पर प्रभाव को प्रस्तुत किया. डॉ. भूवनेश्वरी, सहायक प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने भारतीय संस्कृति और भाषा धरोहर पर चर्चा करते हुए भारती की कुछ प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया, जो समाज में उनके प्रभावशाली विचारों को दर्शाती हैं.
Also Read: वाराणसीः तीन अंतर्जनपदीय चोर साढ़े 11 लाख नकदी व आभूषण संग गिरफ्तार…
कई भाषाओं में किया कविता पाठ
कार्यक्रम में IIT (BHU) के छात्रों ने भी भाग लिया और भारती की काव्य रचनाओं से प्रेरित कविता पाठ किया. इन कविताओं को विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं जैसे तेलुगु, हिंदी, मराठी, पंजाबी और भोजपुरी में प्रस्तुत किया गया. इन कविताओं का मुख्य विषय था “भाषाएं अनेक, भाव एक”, जो भारती द्वारा प्रिय भाषाओं की सुंदरता और एकता का उत्सव मनाता है.
कार्यक्रम में प्रोफेसर राजेश कुमार, डीन (छात्र कल्याण) ने भाषाओं के राष्ट्रीय पहचान और एकता के निर्माण में महत्व को रेखांकित किया. प्रोफेसर अमित पात्रा, निदेशक IIT (BHU) ने उद्घाटन भाषण में चिन्नस्वामी सुब्रमणियम भारती की जीवन गाथा और उनके भारत के भविष्य के प्रति दृष्टिकोण पर विचार साझा किए. उन्होंने भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता की पहचान और सम्मान पर बल दिया, जो भारती के विचारों का मुख्य हिस्सा था.कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम के एंकर तन्मय झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिन्होंने सभी उपस्थितों और प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया.