छापे से पहले आईएएस चंद्रकला ने खरीदी थी लाखों की प्रॉपर्टी
अवैध खनन घोटाला में नाम सामने आने के बाद सुर्खियों में आई आईएएस चंद्रकला ने सीबीआई के छापे के पहले प्रापर्टी खरीदी थी। चद्रकला ने करीब दस दिन पहले ही लाखों की संपत्ति खरीदी थी। चंद्रकला (Chandrakala) ने सीबीआई की छापेमारी से 10 दिन पहले ही तेलंगाना में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। 27 दिसंबर को चंद्रकला ने तेलंगाना के मलकाजगिरि में 22.50 लाख रुपये में खरीदी थी। उन्होंने इस प्रॉपर्टी के लिए कोई लोन नहीं लिया।
डीओपीटी में दिए जाने वाले अचल संपत्ति के ब्योरे में बी चंद्रकला ने इसका जिक्र किया है। यह एक आवासीय प्लॉट है। बताया जा रहा है कि अब चंद्रकला पर आय से अधिक संपत्ति मामले में भी शिकंजा कस सकता है। जिन प्रॉपर्टियों का जिक्र किया था, उनका जिक्र 2019 के रिटर्न में नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के मुताबिक, रिटर्न फाइल करने के दौरान पिछली संपत्तियों का भी ब्योरा देना होता है। इसके अलावा, परिवार के पास मौजूद संपत्ति का भी ब्योरा देना होता है। भले ही पहले उस संपत्ति का ब्योरा दिया जा चुका हो।
30 लाख रुपये का एक मकान खरीदा
चंद्रकला ने 2011 में जो अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था। उसमें एक भी संपत्ति नहीं खरीदने का ब्योरा दिया गया था। वहीं 2012 में फाइल किए गए रिटर्न में चंद्रकला ने 10 लाख रुपये की एक जमीन की खरीद दिखाई थी। यह जमीन उनके पति के नाम से खरीदी गई थी। 2013 में फाइल किए गए रिटर्न के मुताबिक चंद्रकला ने रंगारेड्डी जिले में 30 लाख रुपये का एक मकान खरीदा। इस मकान को खरीदने के लिए उन्होंने 23.50 लाख रुपये का लोन लिया था।
2.37 एकड़ कृषि की जमीन खरीदी थी
2014 में चंद्रकला ने जो रिटर्न फाइल किया था। उसमें 2012 में लखनऊ में सरोजनी नायडू मार्ग पर खरीदे एक फ्लैट की जानकारी दी थी। इसी फ्लैट पर सीबीआई ने शनिवार को छापेमारी की थी। यह फ्लैट उनकी बेटी के नाम है। 2013 में चंद्रकला ने आंध्र प्रदेश के करीमनगर में 2.37 एकड़ कृषि की जमीन खरीदी थी। इस जमीन के लिए भी उन्होंने कोई लोन नहीं लिया था।
सीबीआई उस प्रकरण के बारे में भी जानकारी कर रही है जब चंद्रकला ने वर्ष 2015 में अपनी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया था। बाद में जब उनकी तरफ से संपत्ति का ब्योरा दिया गया तो वह वर्ष 2011-12 के 10 लाख के मुकाबले वर्ष 2013-14 में बढ़कर एक करोड़ हो गई। उनकी संपत्ति मात्र एक साल में इतनी बढ़ने पर काफी चर्चा हुई थी। बी. चंद्रकला समेत 11 नामजद अभियुक्तों ने अवैध खनन से जुटाई काली कमाई की किस तरह बंदरबांट की और किसने उस कमाई से क्या-क्या निवेश किए, सीबीआई इन सारी कड़ियों को जोड़ने में जुट गई है। ताकि मनी ट्रेल के जरिए कोर्ट में केस को आसानी से साबित किया जा सके।
भाईयों की छवि बदमाश किस्म की है
इस बीच सीबीआई को एसपी एमएलसी रमेश मिश्र और उनके भाई दिनेश के यहां से छापेमारी में कई असलहे मिले हैं। इनके लाइसेंस भी मांगे गए हैं। हालांकि ज्यादातर असलहे अवैध बताए जा रहे हैं। लाइसेंस अवैध साबित होने पर सीबीआई दोनों भाइयों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत एक और मुकदमा दर्ज करवा सकती है। सीबीआई को स्थानीय लोगों से यह पता चला है कि दोनों भाईयों की छवि बदमाश किस्म की है।
सीबीआई पहले ही शिकंजा कस चुकी है
सीबीआई जल्द ही जेल में बंद गायत्री प्रजापति के खिलाफ भी शिकंजा कसेगी। दरअसल मंत्री रहने के दौरान गायत्री ने हमीरपुर में करीबी अफसरों व बाबुओं की तैनाती करवाई थी। इनके जरिए ही खनन में बड़े खेल हुए। इनमें से एक एडीएम की पोस्ट पर भी रहे। शामली में हुई एफआईआर में गायत्री के दो करीबियों विकास वर्मा और अमरेंद्र सिंह पिंटू के खिलाफ सीबीआई पहले ही शिकंजा कस चुकी है।
जल्द ही उनके जरिए सीबीआई गायत्री प्रजापति तक और उनके जरिए समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं और प्रभावशाली लोगों तक शिकंजा कसने की तैयारी में है। हमीरपुर, शामली, देवरिया, फतेहपुर की जांच में सीबीआई अब तक कई अहम सबूतजुटा चुकी है।
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