बाबा विश्वनाथ का प्रसाद मिला तो मुझे खटकाःपूर्व राष्ट्रपति

देश के हर मंदिर की यह हो सकती है कहानी.

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को तिरुमला तिरुपति को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, “कल रात मेरे कुछ सहयोगी बाबा विश्वनाथ के धाम गए थे. रात में उन्होंने मुझे बाबा का प्रसादम दिया, तो मेरे मन में तिरुमाला की घटना याद आई और मेरे मन में थोड़ा खटका. मैंने बाबा विश्वनाथ से कान पकड़कर माफी मांगी कि इस बार मैं आपका दर्शन नहीं कर पाया, लेकिन, बाबा विश्वनाथ के प्रसादम में हर किसी का अटूट भरोसा और श्रद्धा है.”

पूर्व राष्ट्रपति काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षा गृह में आयोजित भारतीय गाय जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोले रहे थे.

प्रसाद में मिलावट करना हिंदू धर्म में सबसे बड़ा पाप

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि तिरुपति प्रसादम का मामला बहुत ही चिंताजनक है. मैं प्रसादम के पॉलिटिकल एंगल पर नहीं जा रहा हूं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि प्रसाद के प्रति हिंदुओं में जो श्रद्धा होती है, उसमें शंका उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा- जब मैं यहां आया तो मुझे बाबा विश्वनाथ के दर्शन का सौभाग्य नहीं मिला. मैंने कान पकड़कर क्षमा भी मांग लिया कि अगली बार आऊंगा तो जरूर दर्शन करूंगा, लेकिन मेरे सहयोगी दर्शन करने गए थे.

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उन्होंने रात में मुझे प्रसाद दिया तो तिरूपति प्रसादम की बात खटकी. यह मैं अकेला नहीं हूं बल्कि आप लोगों के साथ भी ऐसा होगा. बाबा विश्वनाथ का प्रसाद मिलता है उसमें कितनी श्रद्धा है. यह हर मंदिर और तीर्थस्थल की कहानी हो सकती है. ये जो मिलावटपन है. उसे हिन्दू शास्त्रों में पाप कहा गया है. यह एक विचारणीय विषय है.

इसकी ढंग से हो जांचः रामनाथ कोविंद

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कितना क्या है, उस पर जाना नहीं चाहता, लेकिन ये देश के हर मंदिर की कहानी हो सकती है. हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती है. हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है. इसकी ढंग से जांच हो.

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इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मालवीय जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके बाद विश्वविद्यालय की छात्राओं ने कुल गीत प्रस्तुत किया. इसके बाद मंच पर बैठे अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया.

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