भारत ब्रांड लक्ष्मी कैसे बनी Lakme …?
Lakme: देश हो या विदेश हर जगह की महिलाओं के मेकअप का शौक रहता ही है और इसमें महिलाओं की पहली पसंद होती है लिपस्टिक. ऐसे में यदि लिपस्टिक की बात हो तो महिलाएं आंखें बंद करके लैक्मे ब्रांड पर भरोसा करती है. और हो भी क्यों न लैक्मे बीते 70 सालों से देश में ब्यूटी प्रोडक्ट देश को अपनी सेवाएं दे रहा है. हालांकि, लैक्मे प्रोडक्ट का इस्तेमाल एक निश्चित वर्ग यानी रईस महिलाएं ही कर पाती हैं, उसकी वजह इसकी कीमत है.
लेकिन लैक्मे को लेकर क्या आपको एक रोचक बात पता है कि, यह लैक्मे, लैक्मे न हो कर भारत की लक्ष्मी ब्रांड है. 70 साल पहले इस ब्रांड की शुरूआत भारत में हुई थी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि, यदि लैक्मे भारत का ब्रांड है तो भारत इसका निर्यात क्यों करता है ? आखिर लक्ष्मी लैक्मे कैसे बना ? यदि आपको इन सवालों के जवाब चाहिए तो आपको इतिहास के उन पन्नों को पलटना होगा जिनमें लक्ष्मी की लैक्मे बनने का कहानी दफन है…..
70 साल पहले Lakme की हुई थी स्थापना
इतिहास के पन्नों को पलटने पर आपको मिलेगा कि आज से 70 साल पहले तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू उस समय में देश में नए उद्योग को जमाने में लगे हुए थे. ऐसे में देश की कोई ब्यूटी ब्रांड न होने पर उन्हें इस विषय पर चिंता हुई. काफी विचार विमर्श करने के बाद नेहरू ने यह समस्या उद्योगपति जेआरडी टाटा के साथ साझा किया. इसके बाद नेहरू जी के आइडिया से प्रभावित होकर उद्योग की चेन बनाने के माहिर टाटा ने साल 1952 में लक्ष्मी नाम से एक ब्यूटी प्रोडक्ट लॉन्च किया. लक्ष्मी के मार्केट में आने से इसकी धूम मच गयी. देखते ही देखते हर तरफ इसकी ही मांग शुरू हो गयी .
लक्ष्मी के ऐड में भारतीय अभिनेत्रियों का दिखा जलवा
लक्ष्मी प्रोडक्ट को लांच करते ही इसका प्रचार करने के लिए बॉलीवुड स्टार्स का सहारा लिया गया. इसके माध्यम से इस ब्रांड का व्यापक प्रचार किया गया. 60 के दशक तक जयाप्रदा, रेखा और हेमा मालिनी को लक्ष्मी के विज्ञापनों में देखा जाता था. लक्ष्मी के लांच होने के बाद भारत में विदेशी सौंदर्य उत्पादों का आयात लगभग बंद हो गया था. इस उत्पाद को फिल्मों में भी इस्तेमाल किया गया है. धीरे-धीरे भारत के हर घर में यह महिलाओं का सौंदर्य प्रसाधन बन गया. यह गली की दुकानों तक में बिकने लगा.
इस वजह से बेचनी पड़ी थी लक्ष्मी ब्यूटी ब्रांड
60 के दशक में टाटा अपनी दूसरी कंपनियों में रुचि लेने लगे थे और वे उन दिनों अपने स्टील उद्योग को ज्यादा प्राथमिकता देना चाहते थे. यही वजह थी की उन्होंने लक्ष्मी को बेचने का निर्णय लिया. दुनिया भर की ब्रांडेड कंपनियों ने बोली लगाई और सबसे ज्यादा दाम देकर यह बोली हिंदुस्तान लीवर अपने नाम कर ली. हिन्दुस्तान लीवर के कब्जे में आने के बाद मध्यवर्ग की पहली पसंद थी. अब लक्ष्मी का नाम बदलकर लैक्मे कर दिया गया. जेआरडी टाटा को फ्रांसीसी बहुत पसंद थी, जिसकी वजह से हिंदुस्तान लीवर ने उनकी रुचि को देखते हुए इसे लैक्मे नाम दिया. क्योंकि फ्रेंच भाषा में “लक्ष्मी” को “लैक्मे” कहा जाता है.
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बाजार में Lakme भी छा गई
लक्ष्मी की तरह लैक्मे भी बाजार में छा गई। युवाओं को ब्यूटी के बारे में जानकारी देने के लिए लैक्मे ने ब्यूटी कोर्स की शुरुआत की . गरीब लड़कियों को स्कॉलरशिप प्रोग्राम के साथ स्टार्ट अप शुरू करने के लिए भी प्रेरित किया जाने लगा. आज की तारीख में भारत के विभिन्न शहरों में लैक्मे के नाम से 110 व विदेशों में 100 से ज्यादा पार्लर चल रहे हैं. मैब्लिन व रेवलोन जैसे ग्लोबल ब्रांड भारत में आने के बावजूद लैक्मे का ब्यूटी ब्रांड में शेयर सबसे अधिक है. यह ब्रांड भारत में ही 1900 करोड़ का सालाना कारोबार करता है.