डायबिटीज से जा सकती है आंखों की रोशनी, जानिए लक्षण और उपाय ?

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दुनिया आज मधुमेह (डायबिटीज)दिवस मना रही है. हमारे देश में मधुमेह एक काफी तेजी फैलने वाली बीमारियों में से एक है. यही वजह है कि, भारत मधुमेह रोगियों वाले देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है. ऐसे में मधुमेह के प्रति जागरूकता लाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है. मधुमेह रोग मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है, जिसमें व्यक्ति के खून में ग्लूकोज का लेवल नॉर्मल से अधिक हो जाता है. ऐसा तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन ठीक से न बने या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें. इस रोग की वजह से हमारे शरीर के कई अंग प्रभावित भी होते हैं जिसमें आंखें भी शामिल हैं.

डायबिटीज के कारण हमारी आंखों की रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली जो महीन नलिकाएं होती हैं वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है. इसी समस्या को डायबिटीज रेटिनोपैथी कहते हैं. अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है. ऐसे में आइए जानते है डायबिटिज रेटिनोपैथी क्या है, इसके लक्षण और उपाय क्या है ?

डायबिटिज रेटिनोपैथी क्या होती है ?

डायबिटिज रेटिनोपैथी एक ऐसी दिक्कत है जिसकी वजह से ब्लड शुगर से ग्रसित व्यक्ति की रेटिना प्रभावित हो जाती है. यह रेटिना तक ब्लड पहुंचाने वाली पतली नसों के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से होता है. इसको आसान भाषा में समझे तो डायबिटिज रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज दृष्टि हानि और अंधेपन का भी कारण बन सकता है. यह रेटिना में ब्लड वेसल्स को प्रभावित करती है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया गया तो व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो सकता है.

ऐसे में अगर आपको मधुमेह (डायबिटीज) है तो कम से कम साल में एक बार आंखों की जांच करवाना महत्वपूर्ण है. मधुमेह रेटिनोपैथी में शुरू में कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं. इसका जल्दी पता लगाने से आपको अपनी दृष्टि की रक्षा के लिए कदम उठाने में मदद सकते हैं. अपने शुगर को नियंत्रित करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, स्वस्थ भोजना करना और अपनी दवा लेना-आपको दृष्टि हानि को रोकने में मदद मिलती है. साथ ही बता दें कि इसका खतरा 20 से 70 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है. शुरू-शुरू में इस बीमारी का पता नहीं चलता और जब आंखें इस बीमारी से 40 फीसदी तक ग्रस्त हो जाती हैं उसके बाद इसका प्रभाव दिखने लगता है. डायबिटीज जितने लंबे समय तक रहता है, डायबिटिक रेटिनोपैथी की आशंका भी उतनी ही बढ़ जाती है. लेजर तकनीक से इलाज के बाद अंधेपन को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.

इस बीमारी के लक्षण:

– चश्मे का नम्बर बार-बार बढ़ना
– आंखों का बार-बार संक्रमित होना
– सुबह उठने के बाद कम दिखाई देना
– सफेद या काला मोतियाबिंद
– सिर में दर्द रहना
– अचानक आंखो की रौशनी कम हो जाना
– आंखों में खून की शिराएं या खून के थक्के दिखना
– रेटिना से खून आना

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उपाय:

– डायबिटीज का पता चलते ही ब्लड शुगर और कलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करें.
– सामान्य लोगों को साल में एक-दो बार आंखों की जांच करवानी चाहिए.
– जिन्हें 8-10 साल से डायबीटीज है उन्हें हर 3 महीने में आंखों की जांच करवानी चाहिए.
– अगर आपको आंखों में दर्द, अंधेरा छाने जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.

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