वीर गाथाओं की बुनियाद पर खड़ा है ‘कालिंजर का किला’
अनिरुद्ध पांडे
भारत में कई ऐसे रहस्यमयी किले मौजूद हैं जो बाहर से तो काफी खूबसूरत दिखते हे लेकिन अपने अंदर कई राज समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी किला है ‘कालिंजर का किला’।
कालिंजर का किला बुंदेलखंड प्रांत में स्थित है। वैसे तो बुंदेलखंड प्रांत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में बंटा हुआ है।
इस प्रांत के अंदर आने वाले कुछ जिले उत्तर प्रदेश में पड़ते हैं तो कुछ मध्य प्रदेश में। वैसे कालिंजर यूपी के बांदा जिले में स्थित है।
चंदेलों की वजह से कालिंजर के किले की ख्याति दूर-दूर तक फैली जिन्होंने नौवीं शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक शासन किया।
इस किले को अपराजेय कहा जाता रहा है। महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक शेरशाह, हुमायूं ने आक्रमण किया किंतु जीत न सके।
यह काफी विशाल और भव्य है। जिधर भी नजर जाएगी उधर दिखेगी पहाड़ी के ऊपर किले की प्रचीर। जब वहां जाकर इसकी विशालता देखेंगे तो आंख फटी की फटी रह जाएगी।
बात उन दिनों की जब एक अफगान लड़ाके शेर शाह सूरी ने 1540 में हुमायूं को हरा कर दिल्ली को अपने अधिकार में कर लिया और उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य की स्थापना की।
वह एक महान योद्धा था जो राजा बना था। उसकी अभिलाषा कलिंजर किले को जीतने की थी।
उसके सैनिक एक साल तक किले को घेरे रहे किंतु जीत न सके। शेर शाह सूरी विभिन्न राज्यों को जीतता हुआ हतोत्साहित सैनिकों का मनोबल बढ़ने के लिए कलिंजर पहुंचा।
उसने सैनिकों को किले पर गोले दागने का आदेश दिया। वह स्वयं भी गोला दागने लगा।
दुर्भाग्य एक गोला किले से टकराकर वापस वहीं गिरा जहां जीत की तमन्ना लिए शेरशाह सूरी था। वह बुरी तरह से झुलस गया।
उसने युद्ध रोकने के बजाए जारी रखने को कहा। फतह तो शेर शाह की हुई लेकिन उसे भारी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
22 मई 1565 को शेर शाह सूरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उसके बाद उसकी सल्तनत अधिक दिनों तक न चली। हुमायूं ने पुन: दिल्ली पर अधिकार जमा लिया।
उधर शेरशाह सूरी से हारने के साथ के साथ चंदेलों के छह सौ साल तक चलने वाले साम्राज्य का अंत हो गया।
भारत के मध्यकालीन इतिहास में बदलाव लाने वाले युद्ध सहित तमाम आक्रमणों की गवाह है कलिंजर का किला। किले के खंडहर हिंदू राजाओं की गौरव गाथा बताते हैं।
(यह एक यात्रा संस्मरण है। लेखक समय-समय पर विभिन्न स्थानों की यात्राएं किया करते हैं। उनके यात्रा संस्मरण समय-समय पर आपको पढ़ने को मिलेंगे।)