हिन्दी पत्रकारिता दिवस: जानें पत्रकारिता के विकास की कहानी…
हिन्दी पत्रकारिता दिवस: एक हिंदी वेब साइट होने के नाते यूं तो हम हर रोज ही आपकी जरूरत और देश – दुनिया की खबर देने के साथ पत्रकारिता दिवस को मनाते ही है, लेकिन आज हम और हमारा पूरा देश आधिकारिक तौर पर हिन्दी पत्रकारिता दिवस मना रहा है, मनाना भी चाहिए आज जुगल किशोर जी के उसी प्रयास का ही ये नतीजा है कि, आज देश भर में 6,700 हिन्दी न्यूज वेब साइट, 1,43,423 तक के हिन्दी समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित होती है और 388 हिन्दी न्यूज चैनल प्रसारित किए जा रहे है. जो हर रोज आप देश दुनिया से लेकर मनोरंजन खेल और आप आस पास की खबरों से अवगत कराने का काम कर रहे है. लेकिन जब बात हिंदी पत्रकारिता दिवस की हो रही है तो, जरूरी है हम जाने आखिर हम इस दिवस को मनाते क्यों है ?
हिंदी पत्रकारिता दिवस का इतिहास ?
30 मई की तारीख हिन्दी पत्रकारिता के लिए काफी अहम मानी जाती है, क्योंकि, आज के दिन ही साल 1826 में हिन्दी का पहला समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था. जिसका नाम उदन्त मार्तण्ड रखा गया था. यह एक साप्ताहिक अखबार था, इसके संपादक व प्रकाशक जुगल किशोर शुक्ल थे. अंग्रेजी शासन में देश की आजादी के लिए इस समाचार पत्र का प्रकाशन कर उस समय जुगल किशोर जी ने चुनौती भरा काम किया था. हालांकि, भाषणों के माध्यम से लोगों को देश की स्थिति के बारे में बताया जाता था, लेकिन फिर एक माध्यम की जरूरत महसूस हुई, जो बिना चीखे-चिल्लाए लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम करता था. जिससे अखबार का जन्म हुआ.
कलकत्ता में हुआ था प्रकाशन
30 मई 1826 को हिंदी में साप्ताहिक अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित किया गया था, ये अखबार मंगलवार को छपते और लोगों तक पहुंचता था. उदन्त मार्तण्ड का मतलब समाचार सूर्य होता है. इस साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन और संपादन पं. जुगल किशोर शुक्ल ने किया था, वे कानपुर के रहने वाले थे. लेकिन उन्होने इस अखबार का प्रकाशन पहली बार कलकत्ता से किया था. लेकिन बताते है कि, जिस समय इसका प्रकाशन हुआ था उस समय कलकत्ता के बाजार में अंग्रेजी, बांग्ला और उर्दू भाषा के अखबारों का ही प्रकाशन किया जाता था, उस समय एक भी हिंदी का अखबार नहीं था. पहली बार में साप्ताहिक समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड की 500 प्रतियां छापी गई थीं.
आर्थिक तंगी की वजह से बंद करना पड़ा था हिन्दी भाषा का पहला अखबार
काफी जोश से शुरू हुआ यह अखबार ज्यादा समय तक हिन्दी भाषी लोगों को अपनी सेवा न दे सका और सात महीने में ही बंद हो गया. बताया जाता है की पाठकों की कमी और आर्थिक तंगी के चलते इस समाचार पत्र को मजबूरन 4 दिसंबर 1826 बंद करना पड़ा था.
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कहां पहुंचा हिन्दी पाठकों का आंकड़ा
लेकिन हिन्दी पत्रकारिता में पाठको की दिलचस्पी कभी कम नहीं हुई, यदि हिन्दी पत्रकारिता के पाठको के आंकड़ो की बात करें तो साल 2017 की इंडियन रीडरशिप सर्वे (आईआरएस) की रिपोर्ट के अनुसार, हिन्दी पाठको की संख्या 1.8 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गयी है, जबकि पत्रिकाओं के 90 लाख अतिरिक्त पाठक हुये हैं. वही पूरी दुनिया में जहां एक तरफ प्रिंट मीडिया उद्योग ढलान पर है, वहीं भारत में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं के मीडिया के योगदान की बदौलत प्रिंट मीडिया के पाठकों की संख्या बढ़कर 42.5 करोड़ तक पहुंच गयी. इस वृद्धि में हिंदी समाचार पत्रों का योगदान सबसे अधिक रहा है क्योंकि इसके पाठकों की संख्या एक करोड़ तक बढ़ी है. क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी पत्रों के पाठकों की संख्या कम है यानी हिन्दी पत्रकारिता का दायरा काफी बड़ा है और अपने उद्भव से अब तक इसका काफी विकास हुआ है.