गंगा में डूबने से पांच बच्चों की मौत

टिक टॉक बनाने के चक्कर में गंगा में डूबे

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टिक टॉक बनाने के चक्कर में गंगा में डूबे
गंगा में डूबने से 5 बच्चों की मौत
रामनगर के सिपहिया घाट की घटना

वीओ–रामनगर थाना क्षेत्र में टिक टॉक वीडियो बनाना महंगा पड़ गया। गंगा में उतरकर कुछ बच्चे वीडियो बना रहे थे। तभी एक एक कर बच्चे गंगा में डूबने लगे। हादसे में पांच बच्चों की मौत हो गई। पांचों बच्चे रामनगर थाना क्षेत्र के सिपहिया घाट पर नहाने गए थे, जिसके बाद उनकी डूबने की सूचना पर मौके पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई है। पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शव बरामद कर लिया है। सभी के शव नदी से निकाले जा चुके हैं। सूचना के अनुसार तौसीफ पुत्र रफीक 20 वर्ष, फरदीन पुत्र मुमताज 14 वर्ष, सैफ पुत्र इकबाल 15 वर्ष, रिजवान पुत्र शहीद 15 वर्ष,सकी पुत्र गुड्डू 14 वर्ष, जोकि वारी गड़ही रामनगर के रहने वाले हैं। पाँचों दो अन्य किशोरों के साथ सुबह नहाने के लिए गंगा घाट गए थे। दो किशोर किनारे बैठे रहे और पांच तौसीफ, फरदीन, शैफ, रिजवान और सकी टिकटॉक का वीडियो बनाने के लिए बीच गंगा में उभरी रेती तक पहुंच गए। वीडियो बनाने के दौरान एक किशोर डूबने लगा तो दूसरा उसे बचाने के लिए कूदा। देखते ही देखते एक दूसरे को बचाने के प्रयास में पांचों किशोर डूबने लगे।

बाइट– स्थानीय निवासी
बाइट– पुलिस अधिकारी

रोहनियां में बीजेपी नेता पर जानलेवा हमला
मास्क और सैनिटाइजर नहीं मिलने पर किया हमला
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया मामला

वीओ-कोरोना अब कलह का कारण भी बनता जा रहा है। रोहनियां इलाके में मास्क और सैनिटाइजर नहीं मिलने से दबंगों ने बीजेपी नेता विक्रम पटेल के ऊपर जानलेवा हमला कर दिया। विक्रम पटेल रोहनियां के मंडल अध्यक्ष हैं। उनके मुताबिक नशे में धुत कुछ लोगों ने पहले उनसे मास्क और सैनिटाइजर की मांग की। विक्रम ने जब देने में असमर्थता जताई तो दबंगों ने उनके ऊपर हमला कर दिया। विक्रम पटेल ने घटना की शिकायत रोहनियां थाने में कई है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और कार्रवाई में जुट गई है।

बाइट- विक्रम पटेल, मंडल अध्यक्ष, रोहनियां

शिवगंगा एक्सप्रेस में टिकट की ‘मारामारी’

8 जून तक फुल हुआ रिजर्वेशन

1 जून से देश भर में चलेंगी पैसेंजर ट्रेनें

वीओ—लॉकडाउन की महाबंदी में फंसे यात्रियों की भीड़ अपने घरों की तरफ रुख करने लगी है। वहीं, काम पर लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। एक जून से नियमित ट्रेनों का परिचालन शुरू हो रहा है। इसमें वाराणसी से दो जून को नियमित विशेष ट्रेनें देश के विभिन्न महानगरों के लिए प्रारंभ हो रही हैं। इस कड़ी में मुंबई की तुलना में दिल्ली रूट की ट्रेनों में सबसे ज्यादा भीड़ है। आठ जून तक शिवगंगा व महामना और पूर्वा एक्सप्रेस की सीटें फूल हो चुकी हैं। फिलहाल महाराष्ट्र में संक्रामक रोग के खतरे को देखते हुए यहां से घोषित महानगरी एक्सप्रेस, कामायनी एक्सप्रेस व पवन एक्सप्रेस में बर्थ की उपलब्धता बनी हुई है। हालांकि रेल अफसरों के अनुसार मुंबई की ट्रेनों में भी एक-दो दिन में आरक्षित टिकटों की उपलब्धता भी मुश्किल हो जाएगी। वाराणसी जंक्शन स्थित मुख्य आरक्षण केंद्र पर गुरुवार को काउंटर बंद होने से यात्रियों ने हंगामा किया। उन्होंने विभागीय कर्मचारियों से अपनी नाराजगी जताई। हालांकि कर्मचारियों के समझाने पर सभी मानने को तैयार हो गए। आम दिनों की तुलना में टिकट काउंटर पर रिफंड कराने वालों की ज्यादा भीड़ थी। यात्रियों की सुविधा के लिए सुबह तीन काउंटर खोले गए थे। इनमें दोपहर दो बजे के बाद काउंटर नंबर सात को बंद कर दिया गया। इसे लेकर यात्रियों ने कर्मचारियों से नाराजगी जाहिर की।

गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ने लगी मटके की डिमांड
देसी फ्रिज यानी मटके का बाजार गुलजार
बाजार में तेजी से कुम्हारों के चेहरे खिले

वीओ–जिले में मई महीने के आखिरी हफ्ते में गर्मी तेजी से बढ़ने लगी है. इतनी भीषण गर्मी में फ्रिज का पानी ना मिल पाने की वजह से लोगों की प्यास नहीं बुझ पाती, जिसकी वजह से बाजारों में बिकने वाले देसी फ्रिज यानी मटकों की डिमांड बढ़ गई है. अचानक बढ़ी गर्मी के कारण बाजार में बिक रहे डिजाइनर मटकों, सुराही और झंझर की खरीदारी करने के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे है. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के कारण लंबे समय से कुम्हारों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा था. चाय के कुल्हड़ से लेकर अन्य मिट्टी के सामान न बिकने की वजह से लोग परेशान थे. वहीं अचानक से गर्मी बढ़ने के बाद ठंडे पानी पीने की चाहत रखने वाले अब बाजारों में निकलकर मिट्टी के घड़ों की तलाश कर रहे हैं. मटकों की अचानक बढ़ी डिमांड से जहां एक तरफ कुम्हार खुश हैं, वहीं लोगों को ठंडा पानी भी पीने को मिल रहा है. आमतौर पर सिंपल मटके पहले मार्केट में आते थे, लेकिन इस बार नल वाले मटके लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. इस समय डिजाइनर मटके डिमांड में हैं और इस गर्मी में प्यास बुझाने के लिए लोग इस देसी फ्रिज का सहारा ले रहे हैं..

बाइट-दुकानदार
बाइट ग्राहक

बनारस में घट रही है लंगड़ा आम की पैदावार

लंगड़ा आम पर दिख रहा है मौसम की मार

वीओ–आमों का राजा बनारसी लंगड़ा के लिए अब मौसम मुफीद नहीं रहा। चिरईगांव, चोलापुर और हरहुआ विकास खंड के फलपट्टी घोषित क्षेत्र में अंधाधुंध ईंट-भटटो की स्थापना से इनके बागों के अस्तित्व पर ही कुठाराघात हो गया। बचे आम के पेड़ों मौसमी परिवर्तन की मार से उत्पादन भी कम हो गया। यहीं नहीं बनारसी लंगड़ा आम की मूल प्रजाति के पेड़ भी गिने चुने बचे हैं। अलग स्वाद और रस के गुणों से भरपूर बनारसी लंगड़ा आम का आज भी कोई सानी नहीं है। एक समय था जब बनारसी लंगड़ा आम की सोधी मिठास का रसा स्वादन कर आम और खास सभी वाह वाह करते थे। फलपट्टी घोषित पचास से अधिक गांवों में बनारसी लंगड़ा आम के बहुतायत बाग थे। अब इन बागों में गिने चुने ही बनारसी लंगड़ा आम के पेड़ बचे हैं।

पुराने पेड़ों का उचित रख-रखाव नहीं होने से इनकी फलत क्षमता पर असर पड़ा है। विगत दो दशक में आम के नए बाग भी बहुत कम लगे हैं। जो लगे भी उनकी जीवितता बेहद कम रही। बाग लगाने के शौकीन अब बहुत कम रह गए हैं। इसका कारण लोगों की जोत क्षमता तेजी से घटी है। जो लोग आम के नए बाग लग भी रहे हैं। उसमें कम उचाई के पौधे की प्रजाति के आम को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। बनारसी लंगड़ा के सामान्य पेड़ से पहले 4 से 6 क्विंटल आम का उत्पादन होता था। अब उत्पादन 3 से 4 कुन्तल प्रति पेड़ ही रह गया है।

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