मंकीपॉक्स: स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइड लाइंस, केरल में मिला पहला केस

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दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच भारत के केरल राज्य में मंकीपॉक्स का पहला केस मिला है. जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को मंकीपॉक्स के प्रबंधन के लिए गाइड लाइंस जारी कर दी है. साथ ही इस बीमारी का पता लगाने के लिए पुणे स्थित आईसीएमआर-एनआईवी ने देशभर में 15 लैब को परीक्षण का प्रशिक्षण दे दिया है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस

विदेश से आए लोग बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क में न आएं। खासकर त्वचा व जननांग में घाव वाले लोगों से दूर रहें.

बंदर, चूहे, छछुंदर, वानर प्रजाति के अन्य जीवों से दूर रहें.

मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से भी बचे.

मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है. इसमें बुखार के साथ शरीर पर रेशेस आते हैं. इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं.

यह वायरस मुख्यतया मध्य और पश्चिम अफ्रीका में होता है. साल 2003 में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था.

जंगली जीवों का मांस नहीं खाने और अफ्रीका के जंगली जानवरों से प्राप्त उत्पाद जिनमें क्रीम, लोशन, पाउडर शामिल से नहीं करने की सलाह दी गई है.

बीमार लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में न आएं.

देश में आगमन के हर प्वाइंट पर संदिग्ध मरीजों की जांच, लक्षण वाले और बिना लक्षण के मरीजों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग और सर्विलांस टीम का गठन किया जाए.

अस्पतालों में मेडिकल तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट हो.

सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग और स्क्रीनिंग एंट्री प्वाइंट्स और कम्युनिटी में की जाएगी.

आइसोलेशन में रखे गए मरीज के जब तक सभी घाव ठीक नहीं होते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती है को छुट्टी न दी जाए.

मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के प्रबंधन के लिए चिन्हित अस्पतालों में पर्याप्त मानव संसाधन और रसद सहायता सुनिश्चित की जाए.

बता दें देश में मंकीपॉक्स का पहला केस केरल के कोल्लम शहर में मिला है. यह मरीज संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा है. वह, यूएई में मंकीपॉक्स से संक्रमित एक मरीज के संपर्क में था. उसके नमूने जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए थे, वहां इसकी पुष्टि हो चुकी है. मरीज को अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किया जा रहा है.

 

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