काशी विश्वनाथ कॉरीडोर में मिले मंदिरों के रहस्य से उठा पर्दा

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धर्म नगरी वाराणसी में विश्वनाथ कॉरीडोर के लिए मकानों के ध्वस्तीकरण के दौरान मिले मंदिरों की प्राचीनता को लेकर संशय के बादल छटने लगे हैं। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की टीम ने ध्वस्तीकरण में मिले मंदिरों को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

इस रिपोर्ट ने साधु संतों के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें मंदिरों को पांच हजार पूर्व बताया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक ध्वस्तीकरण के दौरान जितने मंदिर अभी तक सामने आए हैं उनमें सभी 18वीं और 19 वीं शताब्दी के हैं।

ध्वस्तीकरण में मिल चुके हैं 43 मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस योजना के तहत गंगा घाट से बाबा के मंदिर तक 40 फीट का कॉरीडोर बनाया जा रहा है। इसके लिए रास्ते में पड़ने वाले मकानों का अधिग्रहण किया गया है।

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अब तक लगभग 290 मकान अधिग्रहित किए जा चुके हैं। इन मंदिरों के ध्वस्तीकरण का कार्य जारी है। इसी दौरान पिछले दिनों कई मकानों के अंदर से प्राचीन मंदिर मिले। इसे लेकर संशय की स्थिति बन गई। साधु संतों के मुताबिक ये मंदिर हजारों साल प्राचीन हैं। मंदिरों की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए इतिहासकारों और पुरात्तविदों ने भी मंदिरों का दौरा किया।

18 और 19 वीं शताब्दी के हैं मकान

विवाद खड़ा होने के बाद कला व इतिहासकारों और पुरातत्त्वविदों की टीम को इसका निरीक्षण करने की जिम्मेदारी प्रशासन ने सौंपी थी। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि मंदिर की प्राचीनता के दावों को देखते हुए मंदिरों की पुरातनता को सत्यापित करने के लिए जो टीम बनाई गई थी, उसकी रिपोर्ट मिल गई है।

विशेषज्ञों की इस टीम में कला इतिहासकार प्रफेसर मारुति नंदन तिवारी, बीएचयू के कला इतिहास विभाग के पूर्व प्रमुख प्रफेसर अतुल त्रिपाठी, बीएचयू ललित कला विभाग के डॉ शांति सिन्हा, सेवानिवृत्त पुरातत्व सर्वेक्षण भारत के उप अधीक्षक पुरातत्त्ववेत्ता अजय श्रीवास्तव और राज्य पुरातत्व विभाग के सुभाष यादव शामिल थे। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में अब तक मिले सभी मंदिरों को 18वीं से 19वीं सदी के मध्य का बताया है।

रिपोर्ट- आशुतोष  सिंह

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