अब ‘चश्मा’ पहनकर तीसरे मोर्चे का सपना देखेंगी मायावती
आगामी लोकसभा चुनाव में हरियाणा का सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि यहां हाथी अब चश्मा पहनने जा रहा है। दरअसल, इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का साथ मिल गया है। अटकलों को विराम देते हुए आईएनएलडी के सीनियर नेता अभय सिंह चौटाला ने इसका औपचारिक ऐलान किया।
इसी के साथ तीसरे मोर्चे को मजबूत करने में जुटी बीएसपी सुप्रीमो मायावती को जहां उत्तर प्रदेश में भतीजा (अखिलेश यादव) मिला, वहीं हरियाणा में एक भाई (अभय सिंह चौटाला) मिल गया है। इस भाई ने बहन को एक भेंट भी दी है कि यह गठबंधन देश में तीसरे मोर्चे की अगुवाई करेगा और इसकी अगुवाई मायावती करेंगी। हरियाणा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने कहा कि बीएसपी के साथ उनका गठबंधन राजनैतिक और सामाजिक दोनों तरह से है।
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यह एक भाई और बहन का गठबंधन है जो देश और प्रदेश को कांग्रेस और बीजेपी मुक्त बनाने के लिए हुआ है। देशहित में यह गठबंधन तीसरे मोर्चे की भूमिका निभाएगा, जिसकी अगुआई बहन मायावती करेंगी। तीसरे मोर्चे को मजबूत करने के लिए दोनों दल अपने राजनैतिक सहयोगी और समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत करेंगे। उन्होंने साफ किया कि आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव गठबंधन में साथ लड़ेंगे। इस दौरान बीएसपी की ओर से प्रदेश प्रभारी डॉ. मेघराज सिंह और प्रदेशाध्यक्ष प्रकाश भारती ने नेता विपक्ष के साथ मंच सांझा किया।
‘हाथी’ पहले भी पहन चुका है ‘चश्मा’
बीएसपी का हाथी अतीत में आईएनएलडी का चश्मा (चिह्न) पहन चुका है। इससे पहले 1998 में दोनों पार्टियों के बीच समझौता हुआ था। इस बार गठबंधन ने ‘अब समय है बदलाव का। दलित, पिछड़े और किसान मिलकर बनाएंगे नई पहचान…’ का नारा दिया है। इस नारे पर बारीक नजर डाली जाए तो साफ है कि गठबंधन इन तीनों ही वर्गों को साधने की रणनीति पर चलती नजर आ रहा है। हरियाणा में आईएनएलडी को किसानों की सियासत करने वाली पार्टी के रूप में जाना जाता है और बीएसपी दलितों की राजनीति करती है।
मायावती को दिखाया यह सपना
अभय सिंह चौटाला ने याद दिलाया कि हरियाणा अतीत में भी बदलाव का कर्णधार रहा है। वर्ष 1987 में भी देश को कांग्रेसमुक्त बनाने की मुहिम इसी राज्य से चौधरी देवीलाल की अगुआई में की गई थी। तब उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि देश में 1989 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए वह विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुआई में सभी विपक्षी दलों को एकजुट करेंगे। उसी इतिहास को दोहराते हुए एक बार फिर हरियाणा में इस बदलाव की नींव रखी गई है और निश्चित रूप से अगले लोकसभा चुनाव में मायावती के नेतृत्व में गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी सरकार बनेगी।
बीएसपी अब एक मई से हरियाणा की जीवन रेखा मानी गई एसवाईएल नहर पर आईएनएलडी के जेल भरो आंदोलन में पूरी सक्रियता के साथ नजर आएगा। इस दौरान दोनों दलों के नेता एक मंच पर दिखाई देंगे।
पैदा होते ही निशाने पर गठबंधन
इधर, आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन अस्तित्व में आते ही विरोधियों के निशाने पर आ गया है। सत्तारूढ़ बीजेपी ने इसे अक्षय तृतीय के शुभ दिन पर भी बेमेल शादी की तरह बताया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि आईएनएलडी 1998 के लोकसभा चुनाव मतदान के दिन ही बीएसपी से गठबंधन तोड़कर यह साबित कर चुकी है कि वे मन से कभी एक नहीं हो सकते।
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘एक समय था, जब स्व. चौधरी देवीलाल तीसरे मोर्चे की धुरी होते थे लेकिन, आज उनके वारिसों ने आईएनएलडी को रसातल में पहुंचा कर ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि उन्हें बीएसपी अध्यक्षा की अगुवाई में अपनी पार्टी को जिंदा रखने की कोशिश करनी पड़ रही है। आज फिर से बीएसपी के साथ गठबंधन करके आईएनएलडी ने केवल अपने कार्यकर्ताओं को छिटकने से रोकने का प्रयास भर किया है।’ उन्होंने कहा कि 2014 से बीजेपी के नेतृत्व में बदलाव का दौर शुरू हुआ था, जो लगातार जारी है। इस बदलाव में बडे़-बडे़ राजनीतिक दल हाशिए पर जा रहे हैं। यह गठबंधन राजनीतिक सौदेबाजी का उदाहरण है, जिससे जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
बीएसपी विधायक टेकचंद शर्मा निलंबित
हरियाणा में आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन के साइड इफेक्ट भी आने शुरू हो गए हैं। सबसे पहली चोट एकमात्र बीएसपी विधायक टेकचंद शर्मा पर पड़ी है। उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं, टेकचंद शर्मा ने भी ताल ठोककर कह दिया है कि उन्हें अभी तक इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है। मैं आज भी बीएसपी में हूं। मैंने कभी भी पार्टी के खिलाफ बात नहीं बोली है। सांसदों और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार केवल पार्टी सुप्रीमो को है।
अगर बहन मायावती ने यह कार्रवाई की है, तो यह उनकी अपनी मर्जी होगी। टेकचंद शर्मा पृथला से विधायक हैं। उन्होंने बीजेपी सरकार को समर्थन दिया हुआ है। वह बुधवार को चंडीगढ़ में आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन के ऐलान के वक्त नजर नहीं आए। उनकी गैरहाजरी सियासी गलियारों में सवाल खड़े करती रही। इस बारे में बीएसपी के हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ. मेघराज से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि टेकचंद शर्मा को सस्पेंड किया जा चुका है। वह पार्टी की नीतियों अनुसार काम नहीं कर रहे थे। वह कार्यकर्ताओं और नेताओं को नजरअंदाज कर रहे थे।
NBT
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