Gyanvapi : हिंदुओं का मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद
एएसआई की वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट में 839 पन्नों की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
लम्बे समय से काशी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वंस कर मस्जिद बनाये जाने के विवाद में एएसआई से कराई गई जांच में इस बात की पुष्टि हो गई कि वहां कभी मंदिर था. गुरूवार को अदालत के आदेश पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष को सर्वे रिपोर्ट की कापी मिल गई. सर्वे रिपोर्ट की कॉपी मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद और हिंदू पक्ष से वकील विष्णु शंकर जैन को मिली है. एएसआई ने 92 दिनों तक वैज्ञानिक विधि से सर्वे किया था. इसकी रिपोर्ट की कॉपी 839 पन्नों की है.
अधिवक्ता ने एएसआई रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वहां मस्जिद से पहले बड़ा हिन्दू मंदिर था. मेन चेंबर के पास एएसआई को तीन चेंबर मिले हैं. पिलर और प्लास्टर हिन्दू मंदिर के हैं और स्वास्तिक के निशान,के अलावा पशु-पक्षियों के चित्र मिले हैं. परिसर में महामुक्ति मंडप के भी अवशेष हैं और मस्जिद के लिए मंदिर के पिलर का इस्तेमाल किया गया है.
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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया के सामने दावा किया कि सर्वे रिपोर्ट में स्वस्तिक के निशान, कमल फूल के समेत हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भारी तादाद में मिली हैं. इसके साथ ही मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष भी मिले हैं. लेकिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उन्होंने बताया कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार हिन्दू मंदिर का एक पार्ट है. इस परिसर में अवशेष हिन्दू मंदिरों के है. उनमे थोड़ी फेर बदल के बाद मस्जिद बनाया गया है. परिसर में ऐसी 32 जगहें हैं जहां देवनागरी, कन्नड़, और तेलगू में लिखी हैं. वहां महामुक्ति मंडप लिखा मिला है.
21 जुलाई को जिला अदालत ने एएसआई सर्वे का दिया था आदेश
गौरतलब है कि साल 21 जुलाई को जिला अदालत के आदेश के बाद एएसआई ने यह निर्धारित करने के लिए ज्ञानवापी अहाते का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं ? इस मामले मे बुधवार को जिला जज एके विश्वेश ने फैसला सुनाया कि ज्ञानवापी मस्जिद अहाते पर एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रति हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को दी जाएगी. ताकि वह इसके खिलाफ आपत्तियां दाखिल कर सकें. साथ ही कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, वाराणसी डीएम और राज्य के गृह सचिव को एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट की एक कॉपी देने की भी इजाजत दी थी.
हिंदू याचिकाकर्ताओं के दावा किया थी कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था. इसके बाद अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया. एएसआई ने 18 दिसम्बर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी.
साढ़े तीन सौ साल ही पुरानी है मस्जिद की गुम्बंद
विष्णु जैन ने दावा करते हुए कहा कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1669 ई. में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है. मौजूदा ढांचा मंदिर के ही अवशेष पर बना है. जबकि मस्जिद की गुंबद साढ़े तीन सौ साल ही पुरानी है. अहाते के अंदर कई जगहों पर मंदिर के अवशेष समेत पीलरों पर देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं. इसके साथ ही देवनागरी और संस्कृत भाषा में कई श्लोक लिखे हुए हैं. वहां नागर शैली के कई ऐसे निशान मोजूद हैं जो बताते हैं कि ये एक हजार साल पुराने हैं. विष्णु जैन ने कहा कि अब उनकी कोशिश होगी कि वुजूखाने का भी सर्वे कराया जाए. वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में प्राचीन मंदिर के खंभों की पुष्टि हुई है. हिंदू मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था.
यहां पर पहले से हिंदू मंदिर मौजूद थे
एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी में 32 ऐसी जगह हैं जहां प्राचीन मंदिर के खम्भों को प्रयोग किया गया है. यह प्राचीन मंदिर के हिस्से थे. तहखाना में हिन्दू देवी देवताओं के अवशेष मिले हैं. सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद से पहले यहां मंदिर था.अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआई ने कहा है कि वहां पर कई शिलालेख है. यहां पर पहले से हिंदू मंदिर मौजूद के थे. इसका पुनः उपयोग कर यह मस्जिद बनाई गई. शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं. जिला अदालत के पिछले साल 21 जुलाई के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं ? हिंदू याचिकाकर्ताओं के यह दावा करने के बाद कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था. अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था. एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी थी.