गुरु- पूर्णिमा में दिखी गंगा- जमुनी तहजीब, मुस्लिम महिलाओं ने उतारी गुरु बालक दास की आरती
गुरु की धर्म और जाति नहीं देखी जाती
वाराणसीः रामानन्दी सम्प्रदाय ने हमेशा से छुआछूत और भेदभाव को खत्म करने का अभियान चलाया. गुरु रामानन्द ने मुस्लिम और दलित को गुरुमंत्र देकर रामभक्ति में नई क्रांति का सूत्रपात किया. रामानन्द के प्रसिद्ध शिष्य नरहरि दास ने पातालपुरी मठ की स्थापना की. उसी पीठ पर विराजमान पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने मठ का दरवाजा सभी के लिए खोल दिया. रामभक्ति के लिए धर्म और जाति की कोई बाध्यता नहीं है. इसी को देखते हुए महंत बालक दास की आरती मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने उतारी. गुरु पद का सम्मान किया तथा उन्हें रामनामी दुपट्टा ओढ़ाया. मुस्लिम महिलाओं की शीर्ष नेता नाज़नीन अंसारी के साथ मुस्लिम महिलाओं ने महंत बालक दास से रामनाम का मंत्र लिया.
साम्प्रदायिक एकता की मिसाल बना पातालपुरी मठ
धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों के लिए यह बेहतर सबक है. धर्म जाति के नाम पर भेद मिटाकर भारत की सांस्कृतिक पहचान कायम रखने वाली काशी का यह अद्भुत नजारा भले ही विदेशियों की नजरों में खटके, लेकिन साम्प्रदायिक एकता की मिसाल बना पातालपुरी मठ आज दुनियां के लिए जरूरत है. महंत बालक दास जैसे गुरु ही जलते हुए विश्व को भक्ति की शीतलता प्रदान कर सकते हैं.
रामपंथ में लिया दीक्षा
प्रसिद्ध दलित विचारक ज्ञान प्रकाश ने पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चारण के साथ रामपंथ के धर्माध्यक्ष महंत बालक दास से रामपंथ में दीक्षा लिया. रामपंथ में दीक्षित होने के बाद ज्ञान प्रकाश को रामाचार्य का पद प्रदान किया. यह अद्भुत संयोग ही है कि दलित समाज धर्मांतरण से पीड़ित है. ऐसे में दलित समाज के ज्ञान प्रकाश का दीक्षित होना दलित समाज में रामभक्ति की चेतना विकसित करने की नई प्रेरणा देगा. गुरु का स्थान सभी सम्बन्धों से ऊपर होता है. गुरु की महत्ता का बखान वेदों में भी है. जब भगवान राम आये तो शिक्षा प्राप्त करने के लिए उनको भी गुरुकुल जाना पड़ा.
एकता और भाईचारा का दिया संदेश
इस अवसर पर रामपंथ के पंथचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि जहां सारे भेद खत्म हो जाये वहीं राम हैं. रामनाम का मंत्र लेने वाला कभी भी और कहीं भी भेद नहीं कर सकता. पातालपुरी मठ ने नया इतिहास रचा है. दलित और मुस्लिम समाज ने अपने गुरु बालक दास को सम्मान देकर एकता और भाईचारा का संदेश दिया.
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महंत बालक दास ने कहा कि रामपंथ में बिना किसी भेदभाव के रामनाम की दीक्षा देंगे. भगवान राम के शरण में जो भी आएगा सब हमारे हैं. जो भी रामभक्ति से जुड़ना चाहते हैं वो सब आये. हमें सब स्वीकार है. हिन्दू धर्म में सबकी स्वीकारोक्ति है.
इस अवसर पर डॉ० अर्चना भारतवंशी, नाज़नीन अंसारी, डॉ० नजमा परवीन, खुर्शीदा बेगम, शबनम, शबाना, कुलसुम, राबिया बानो, हुसना बानो, रुखसार, तसकिया जमाल, मो० शहाबुद्दीन, मो० अफरोज, शमशाद अली, रोजा भारतवंशी, आभा भारतवंशी, अफसर अंसारी, राजकुमार सिंह गौतम, अंकित, सचिन, डॉ० धनंजय यादव, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता आदि लोगों ने भाग लिया.