गुजरात: 22 साल से सत्ता में, चुनाव हारने से भी नहीं घटा कद, फिर डिप्टी सीएम बने नितिन पटेल
गुजरात सरकार में लगातार दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बने नितिन पटेल उत्तरी गुजरात से आते हैं और उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता की है। पटेल आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से बातचीत में उनकी बड़ी भूमिका थी। नितिन पटेल 1995 से गुजरात में मंत्री थे। पिछले साल वह डिप्टी सीएम बने थे। अब नई सरकार में भी उनका ओहदा कायम रखा गया है। डिप्टी सीएम बनने से पहले उनके पास स्वास्थ्य, मेडिकल शिक्षा, परिवार कल्याण और सड़क निर्माण मंत्रालय थे। कैबिनेट में उनकी हैसियत नंबर दो की थी।
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दंगों के बाद विधानसभा चुनाव में हार का सामना
नितिन पटेल को गुजरात दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। फिर भी पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ। 61 वर्षीय नितिन पटेल कडवा पटेल हैं। भाजपा के 34 सांसद इसी समुदाय से आते हैं। गुजरात विधानसभा में भी इस समुदाय के विधायकों की संख्या अच्छी-खासी है। नरेंद्र मोदी के केंद्र में जाने के बाद से नितिन पटेल ने गुजरात सरकार के प्रवक्ता की भी भूमिका निभाई। मीडिया से उनकी अच्छी पटती है। उन्होंने 7 अगस्त, 2016 को विजय रुपानी सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन रुपानी गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री बने थे। 2012 में हुए आखिरी विधानसभा चुनाव के बाद गुजरात के वे तीसरे मुख्यमंत्री थे। आनंदी बेन को हटा कर उन्हें कुर्सी दी गई थी। रुपानी ने आनंदीबेन पटेल की कैबिनेट में शामिल रहे नौ मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था।
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रुपानी की अगुआई में बीजेपी सरकार गुजरात की सत्ता पर
मंगलवार को विजय रुपानी की अगुआई में बीजेपी की नई सरकार गुजरात की सत्ता पर काबिज हुई। रुपानी ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। वह दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। रुपानी पूर्व की गुजरात सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री भी रह चुके हैं। उनके करियर की शुरुआत एबीवीपी छात्र नेता के तौर पर हुई। वह राज्य बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे। रुपानी के साथ 19 और विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें से 6 पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पाटीदार समुदाय को साधने के लिए बीजेपी को इस बार चुनाव में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।