धूर्त है गोविंदानंद सरस्वती, बैंकों को फर्जी कागजात के जरिए किया गुमराह
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को फर्जी बतानेवाले गोविंदानंद के खिलाफ प्रेसवार्ता
वाराणसी के केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य के पावर आफ एटॉर्नी धारक राजेन्द्र मिश्र और मठ से जुड़े अन्य लोगों ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता की. मीडिया को बताया कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर गंभीर आरोप लगानेवाले गोविंदानंद सरस्वती छलिया, बहुरूपिया, कपटी, धूर्त और ढोंगी है.
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उन्होंने बताया कि वह ब्रम्हलीन जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपनानंद सरस्वती का वह दंडी सन्यासी शिष्य नही है. उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्वयं को उनका दीक्षित दंडी सन्यासी शिष्य लिखवाकर दंडी सन्यासी होने का प्रवंचना की. इसके साथ ही उसने केनरा बैंक और बैंक आफ इंडिया में ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के संचालित खातों को 5 जून से फ्रिज करवा दिया था. प्रेसवार्ता मंे प्रमुख न्याय सेवालय डॉ. गिरीश चन्द्र तिवारी, मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय ने बताया कि गोविंदानंद सरस्वती नामधारी एक छलिया, बहरूपिया, कपटी, धूर्त, ढोंगी है. यह जानते हुए भी उसने झूठ का सहारा लेकर शंकराचार्य की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया. इससे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की मानहानि हुई. इससे क्षुब्ध होकर गोविंदानंद के विरूद्ध चौक थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए साक्ष्य के साथ प्रार्थनापत्र दिया गया. साथ ही बैंकों को भी सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता अंजनी कुमार मिश्र की ओर से लीगल नोटिस दी गई. इसके बाद बैंकों ने अपनी जांच में पाया कि गोविंदानंद ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बैंकों को गुमराह किया. बैंकों की ने जांच से यह भी पाया कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ही खातों के अधिकृत संचालक हैं. इस बात की जानकारी के बाद बैंकों ने शंकराचार्य से लिखित खेद प्रकट किया और खातों का पुनः संचालन शुरू कर दिया. पत्रकारवार्ता के दौरान ब्रम्ह्चारी प्रधान पुरुषेश्वरानंद, प्रबंधक दीपेंद्र सिंह और अधिवक्ता रमेश उपाध्याय रहे.
पिछले दिनों गहराया था विवाद
गौरतलब है कि शंकराचार्य की गद्दी का विवाद पिछले दिनों सुर्खियों में आ गया था. जोशी मठ में रहनेवाले और अपने को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का शिष्य बताने वाले स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को फर्जी बाताया था. कहा था कि अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिषपीठ पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने मीडिया को बताया था कि बीते दिनों जोशीमठ में एक फर्जी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट तक में झूठ बोला. जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को उनके कार्यक्रम पर रोक लगानी पड़ी. उन्होंने यहां तक दावा किया था कि अखाड़ा वालों ने भी अविमुक्तेश्वरानंद का बहिष्कार किया है. कहा था कि स्वामी स्वरूपानंद ने अपने जीवनकाल में कभी किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाया. न ही उन्होंने किसी का अभिषेक और न ही कभी किसी को भी शंकराचार्य घोषित किया. गोविन्दानंद सरस्वती ने कहा था कि अविमुक्तेश्वरानंद संत के योग्य नहीं हैं. उन्हें अपराधी तक बता दिया था.
स्थानीय नागरिकों ने गोविंदानंद का किया था विरोध
आपको यह भी बता दें कि बीते दिनों जोशीमठ आपदा क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना करने गए थे. उनके साथ पूजा में स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती भी मौजूद थे. इसकी सूचना जब जोतिषपीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्ताश्वरानंद के शिष्य ब्रह्मचारी मुकुंदानंद सरस्वती को हुई तो वे भी वहां पहुंचे. वहां स्थानीय लोगो ने ब्रह्मचारी मुकुंदानंद सरस्वती को बताया कि स्वामी गोविन्दानंद स्वरस्वती ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया है. इसके बाद स्थानीय लोग स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती का विरोध करने लगे. मामला बिगड़ता देख पुलिस ने बीच बचाव कर मामला शांत करवाया था.